देहरादून हमारे घर में, आये हमारे दादाजी। खुशियों की सौगात, हमारे घर में लाये दादाजी।। यहाँ हमारे लिए उन्होंने, नयी कार दिलवायी है। नयी-नवेली श्वेत रंग की, कार सभी को भाई है।। पहले घर में थी इंडीगो, फिर थी स्टीलो आयी। स्टीलो ने खुशियों की, चाबी हमको है दिलवाई।। शेवरले की इस गाड़ी से, हम अपने घर में आये। गर्मी का अवकाश मनाने, नगर खटीमा हम धाये।। दादाजी ने यहाँ मुझे, प्यारी नैनो में बैठाया। क्रिकेट का मैदान देखकर, कार चलाना सिखलाया।। अपने घर में तीन कार हैं, तीनों हैं प्यारी-प्यारी। श्रम से सम्भव सब हो जाता, श्रम की महिमा है न्यारी।। |
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शनिवार, 12 मई 2012
"प्रांजल की कार-शेवरले स्पार्क" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नई कार आने खुशी में आपको बधाई,.....
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी,...खुशी के कारण लगता है चर्चामंच आज का पोस्ट करना भूल गए,....देख ले
बधाई |
जवाब देंहटाएंबच्चों को ढेर सारा प्यार-
शुभकामनायें ||
सबकी अपनी अपनी कार, बढ़े जीवन में प्यार
जवाब देंहटाएंनई कार की बधाई।
जवाब देंहटाएंअरे वाह नई शेवरले बच्चों की ख़ुशी में ही मम्मी पापा की ख़ुशी होती है बच्चों को और आपको बधाई मात्र दिवस की सभी को शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता अपार ,जो पाए उसका बेड़ा पार ,
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें
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शनिवार, 12 मई 2012
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
कृपया यहाँ भी पधारें
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शनिवार, 12 मई 2012
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
बहुत-बहुत बधाइयां
जवाब देंहटाएंश्रम ही धन है..
जवाब देंहटाएंबधाई :-)
'shewarle'ki badhayee.
जवाब देंहटाएंकारें ही कारें हैं
जवाब देंहटाएंचारों ओर बहारें हैं ।