रंग भी रूप भी छाँव भी धूप भी, देखते-देखते ही तो ढल जायेंगे। देश भी भेष भी और परिवेश भी, वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।। ढंग जीने के सबके ही होते अलग, जग में आकर सभी हैं जगाते अलख, प्रीत भी रीत भी, शब्द भी गीत भी, एक न एक दिन तो मचल जायेंगे। वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।। आप चाहे भुला दो भले ही हमें, याद रक्खेंगे हम तो सदा ही तुम्हें, तंग दिल मत बनो, संगे दिल मत बनो, पत्थरों में से धारे निकल आयेंगे। वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।। हर समस्या का होता समाधान है, याद आता दुखों में ही भगवान है, दो कदम तुम बढ़ो, दो कदम हम बढ़ें, रास्ते मंजिलों से ही मिल जायेंगे। वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।। ग़म की दुनिया से वाहर तो निकलो ज़रा, पथ बुलाता तुम्हें रोशनी से भरा, हार को छोड़ दो, जीत को ओढ़ लो, फूल फिर से बगीचे में खिल जायेंगे। वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
रविवार, 6 मई 2012
"पत्थरों में से धारे निकल आयेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सकारात्मक सोच देती सुंदर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...!!
समय बिसारे बात पुरानी..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना .... निराश मन को हौसला देती हुई ...
जवाब देंहटाएंsunder rachana ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंpoem with positive note...
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
इस कविता में शास्त्री टच थोड़ा कम लगा।
जवाब देंहटाएंग़म की दुनिया से वाहर तो निकलो ज़रा,
जवाब देंहटाएंपथ बुलाता तुम्हें रोशनी से भरा,
हार को छोड़ दो, जीत को ओढ़ लो,
फूल फिर से बगीचे में खिल जायेंगे।
सुंदर सुरीला गीत......
गीत यूँ ही मोहब्बत के गाते रहें
और दिल में हमारे समाते रहें.
हम भी सीखें जरा, ज्ञान पाके खरा
हम जमाने से आगे निकल जायेंगे.
बहुत बढ़िया रचना ...आभार
जवाब देंहटाएंहर समस्या का होता समाधान है,याद आता दुखों में ही भगवान है
जवाब देंहटाएं...क्या खूब कही आपने,...धन्यवाद!
आशावादी विचारों से सजी ... लाजवाब रचना शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंहर समस्या का होता समाधान है,
जवाब देंहटाएंयही तो मूलमंत्र है ..
सकारात्मक सोच की सुन्दर रचना
सकारात्मक सोच सुंदर रचना ....आभार /
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंwhat a beautiful post guru jee
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएं