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शास्त्री जी, मुआरक हो .....
जवाब देंहटाएंसच-मुच..आप के चित्र बोल रहें है !
क्षमा ! मुबारक पढे .....
जवाब देंहटाएंबहुत सी बातें बिना बोले भी कही जाती हैं ………सुन्दर चित्र
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस सिर्फ मात्र दिवस रह गया है,...
जवाब देंहटाएंसच में आपके चित्र बोल रहे है,...सराहनीय प्रयास,...
ये है हमारा असली चेहरा
जवाब देंहटाएंचोट करते चित्र..
जवाब देंहटाएंसचमुच बोलते चित्र . कोई सुन रहा है ?
जवाब देंहटाएंश्रम को नमन |
जवाब देंहटाएंसादर ||
हर चित्र कुछ कहता......आंसुओं से भीगा....
जवाब देंहटाएंसुंदर.
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
जवाब देंहटाएंचित्र साक्षात्कार कराते हैं हमारे वर्तमान से ,हमारी आत्ममुग्धता से ,हमारी प्रवंचना से ........ किसको सरोकार है इन बोलते बिम्बों से ...... मार्मिक प्रसंग
जवाब देंहटाएंbahut sundar v naveen shaili me prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंyahee agar valentines day hota to phir dekhte raunak...
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी सच में छवियों ने सब कह दिया उनके मुंह पर तमाचा भी मारा ..सुन्दर -आभार
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५