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वाह ! जितने सुंदर दोहे हैं और उनमें छिपे भाव हैं उतने ही सुंदर चित्र ! विभोर कर देने वाली पोस्ट !
जवाब देंहटाएंसरस जलेबी सी लगी, मीठी सारी बात।
जवाब देंहटाएंरविकर जी रचते रहें, छंद भरे सौगात।
सुंदर छंदात्मक विवरण और चित्र देखकर आनंद आगया सर....
आपको और रविकर जी को सादर बधाई...
बहुत सुंदर, जलेबी देख कर मुह मे पानी आ गया।
जवाब देंहटाएंआपने और रविकर जी दोनों ने आज तो महफ़िल सजा दी है दोहों की ... आनंद आ गया इन दोहों का भी ..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत मुलाकात
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रमय मुलाक़ात
जवाब देंहटाएंजिसमे जलेबियों की मिठास.
मेरी मुलाकात हो न सकी.. सुन्दर शब्द जलेबी आपकी.. रस और आत्मीयता से भरी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंExcellent creation ! it's great to see, the two great poets together.
जवाब देंहटाएं.
जलेबियों सी मिठास लिये .रविकर जी के साथ आत्मीयता भरी सुन्दर चित्रमय यादगार मुलाक़ात,,,,,,,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आप ही रविकर जी का मुकाबला कविता से कविता में कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंअद्भुत जोड़ी!!
बाल सुलभ रचना बहुत अच्छी है|
जवाब देंहटाएंमित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
जवाब देंहटाएंआओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
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शुक्रवारीय चर्चा मंच ।
शास्त्री जी बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
रविकर जी को बधाई:-)
जवाब देंहटाएंबहूत बढीया मुलाकात है..
आपके दोहो से और तस्वीर से पता चल रहा है कि आप कितने खुश है...
:-) एक मुस्कान मेरी भी...
सुन्दर चित्रमयी दोहे.....
जवाब देंहटाएंदो ब्लॉग बादशाहों का मिलन अपूर्व तो होना ही था .चित्रमय रूपक प्रेम का ,ब्लॉग दोस्ती का प्रस्तुत किया आपके कवित्त ने साथ में बोनस के रूप में पर्यटन का मजा मुफ्त में लुटवाया .बधाई शाष्त्री जी जिन रविकर दिया मिलाय ,बधाई रविकर जी जिन शाष्त्री दियो मिलाय .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
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