आज प्रस्तुत कर रहा हूँ
अपना एक पुराना देश-भक्ति गीत!
जिसको अपना मधुर स्वर दिया है
मेरी जीवनसंगिनी "श्रीमती अमर भारती" ने
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मेरे प्यारे वतन, जग से न्यारे वतन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। अपने पावों को रुकने न दूँगा कहीं, मैं तिरंगे को झुकने न दूँगा कहीं, तुझपे कुर्बान कर दूँगा मैं जानो तन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। जन्म पाया यहाँ, अन्न खाया यहाँ, सुर सजाया यहाँ, गीत गाया यहाँ, नेक-नीयत से जल से किया आचमन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। तेरी गोदी में पल कर बड़ा मैं हुआ, तेरी माटी में चल कर खड़ा मैं हुआ, मैं तो इक फूल हूँ तू है मेरा चमन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। |
स्वप्न स्वाधीनता का सजाये हुए,
लाखों बलिदान माता के जाये हुए,
कोटि-कोटि हैं उनको हमारे नमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
जश्ने आजादी आती रहे हर बरस,
कौम खुशियाँ मनाती रहे हर बरस,
देश-दुनिया में हो बस अमन ही अमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
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जितनी मधुर आवाज उतना ही सुंदर गीत.आप दोनों को स्वतन्त्रता दिवस पर ढेरों बधाइयां !
जवाब देंहटाएंसुंदर आवाज सुंदर गीत ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंस्वप्न स्वाधीनता का सजाये हुए,
जवाब देंहटाएंलाखों बलिदान माता के जाये हुए,
कोटि-कोटि हैं उनको हमारे नमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
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वाह वाह बहुत सुन्दर आदरणीय बेहतरीन भाव से परिपूर्ण ये गीत। सादर नमन
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदिनांक 14/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
जैसे सोने में सुहागा !आप दोनों के लिए क्या कहूँ मैं -गिरा अर्थ जल-बीचि सम ....!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है |
जवाब देंहटाएंआप दोनों के संयुक्त प्रयास से बहुत सुन्दर देशप्रेम से भरी प्रस्तुति पढ़ने और सुनने का अवसर मिली
जवाब देंहटाएंधन्यवाद-सह- आभार!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंbahut sunder .....
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