हरियाला सावन ले आया, नेह भरा उपहार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
यही कामना करती मन में, गूँजे घर में शहनाई,
खुद चलकर बहना के द्वारे, आये उसका भाई,
कच्चे धागों में उमड़ा है भाई-बहन का प्यार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
तिलक लगाती और खिलाती, उसको स्वयं मिठाई,
आज किसी के भइया की, ना सूनी रहे कलाई,
भाई के ही कन्धों पर, होता रक्षा का भार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
पौध धान के जैसी बिटिया, बढ़ी कहीं पर-कहीं पली,
बाबुल के अँगने को तजकर, अन्जाने के संग चली,
रस्म-रिवाज़ों ने खोला है, नूतन घर का द्वार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
रखती दोनों घर की लज्जा, सदा निभाती नाता,
राखी-भइयादूज, बहन-बेटी की याद दिलाता,
भइया मुझको भूल न जाना, विनती बारम्बार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
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शनिवार, 9 अगस्त 2014
"राखी नेह भरा उपहार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक मंगल कामनाएं !!
रक्षा बंधन की शुभकामनायें....पर्व के अनुरूप सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना..रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।
बढ़िया .
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें.
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना ... आपको भी रक्षा बन्धन की ढेरों शुभकामनाये ..सादर
जवाब देंहटाएंभइया मुझको भूल न जाना, विनती बारम्बार।
जवाब देंहटाएं- मायके से जोड़नेवाला यह सूक्ष्म तंतु कभी न टूटे !
आज किसी भैया कि ना सूनी रहे कलाई। राखी की शुभ कामनाएँ।
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