जिसकी माटी में चहका हुआ है सुमन,
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।
जिसकी घाटी में महका हुआ है पवन,
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।
जिसके उत्तर में अविचल हिमालय खड़ा,
और दक्षिण में फैला है सागर बड़ा.
नीर से सींचती गंगा-यमुना चमन।
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।।
वेद, कुरआन-बाइबिल का पैगाम है,
ज़िन्दगी प्यार का दूसरा नाम है,
कामना है यही हो जगत में अमन।
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।।
सिंह के दाँत गिनता, जहाँ पर भरत,
धन्य आजाद हैं और विस्मिल-भगत,
प्राण आहूत करके किया था हवन।
मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।।
यह धरा देवताओं की जननी रही,
धर्मनिरपेक्ष दुनिया में है ये मही,
अपने भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन।
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।।
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गुरुवार, 14 अगस्त 2014
"अपने भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (15.08.2014) को "विजयी विश्वतिरंगा प्यारा " (चर्चा अंक-1706)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंभारत माता को शत शत नमन...स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसुंदर आ. धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 15 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंसत्य-शिवम-सुंदरम की कामना से सभी देशवासियों कोआजादी के
इस पर्व पर सबकोार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंसत्यम-शिवम-सुंदरम की कामना के साथ
सभी देशवासियों को आजादी के इस पर्व पर
शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं
सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्
जवाब देंहटाएंअप्रतिम भाव पूर्ण रचना समर्पण देश प्रेम से संसिक्त
बेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं