देशभक्ति का हो रहा, पग-पग पर अवसान।
सब अपने ही नाम का, करते हैं गुणगान।।
देशभक्ति के हो रहे, रंग आज बदरंग।
जनहित के कानून को, लोग कर रहे भंग।।
देशभक्ति का मत करो, कभी कहीं उपहास।
देख आपदा काल को, घर में करो निवास।।
तबलीगी मरकज बना, भारत में
शैतान।
देश विरोधी
कर रहा, वो जारी फरमान।।
केवल निन्दा से नहीं, बनने वाली बात।
भेजो कारागार में, ऐसी सभी जमात।।
कोई भी कानून का, करे अगर अपमान।
देश निकाले का उन्हें, जारी हो फरमान।।
दुनिया में कोई नहीं, लगता हमको गैर।
बिन वजह हम किसी से, नहीं ठानते बैर।।
कोरोना के दौर में, घर में बैठो आप।
सच्चे मन
से कीजिए, देशभक्ति का जाप।।
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शनिवार, 4 अप्रैल 2020
दोहे "देशभक्ति का जाप" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सामयिक और सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०५-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१४ "देश प्रेम"( चर्चा अंक-३६६२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंकोई भी कानून का, करे अगर अपमान।
जवाब देंहटाएंदेश निकाले का उन्हें, जारी हो फरमान।।
एकदम सटीक... समसामयिक सुन्दर दोहे
वाह!!!
दोहों के ज़रिये खरी-खरी ओजस्वी बात। सादर नमन सर।
जवाब देंहटाएं