सादा जीवन अपनाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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छोड़ सभी आराम-ऐश को,
संघं शरणम् में आया।
मोह छोड़कर घर-गृहस्थ का,
पथरीला पथ अपनाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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केशर की क्यारी को जिसने है,
संविधान में बाँध दिया।
आजादी के परवानों का,
भारत में सम्मान किया।
उग्रवाद-आतंकवाद से,
कभी नहीं जो घबराया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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दागे नहीं खयाली गोले,
कूटनीति से काम लिया।
सत्य-अहिंसा के बल पर,
अपने भारत को एक किया।
भटके हुए युवा बिरुओं को,
देशभक्ति को सिखलाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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दीन-दुखी को अपनेपन से,
हँसकर गले लगाता जो।
खरपतवार हटा धरती की,
भारत स्वच्छ बनाता जो।
अवतारी पटेल का बनकर,
जो भारत में है आया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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शासक है स्वदेश का ऐसा,
नरेन्द्र मोदी गुजराती।
नई सोच को रखता लेकिन,
जीवन जीता देहाती।
अग्रदूत बनकर विकास का,
थमे चक्र को चलवाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-04-2020) को 'नभ डेरा कोजागर का' (चर्चा अंक 3670) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब सृजन..
जवाब देंहटाएंकिसी की अच्छाई देखना अपनेआप में एक बहुत बड़ा सद्गुण हैं......।
वाह!!!
सुंदर सृजन।
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