धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार। घर में अपने ला रहे, लोग नये उपहार।। -- झालर-दीपों से सजें, आज सभी के नीड़। धरती पर पसरी हुई, तारों की है भीड़।। -- चलकर आई धरा पर, चन्दा की बारात। इसीलिए आकाश में, हुई अँधेरी रात।। -- दीवाली पर हो रहा, खुशियों का इजहार। मिष्ठानों से हैं सजे, आज सभी बाजार।। -- रहे साथ में शारदे, गौरी और गणेश। आती है जब सम्पदा, तब सुधरे परिवेश।। -- उल्लू बन जाना नहीं, पाकर द्रव्य अपार। धन-दौलत के साथ हो, मेधा का उपहार।। -- बैरभाव को छोड़कर, बाँटो सबको प्यार। धनतेरस पर दीजिए, कुछ अभिनव उपहार।। -- |
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सोमवार, 1 नवंबर 2021
दोहे "रहे साथ में शारदे, गौरी और गणेश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2-11-21) को "रहे साथ में शारदे, गौरी और गणेश" (चर्चा अंक 4235) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
धनतेरस का सुंदर वर्णन!शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंधन्वंतरि देव और धन तेरस पर सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंधन तेरस की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं।
सादर।