-- उत्सव में साकार बनाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- चीनी लड़ियाँ नहीं लगाना, अबकी बार दिवाली में, योगदान सबको करना है, अपनी अर्थप्रणाली में, अपने जन-गण की ताकत, दुनिया को आज दिखाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- महापर्व पर रहे न कोई, नर-नारी कंगाली में, खुश होकर खुशियों को बाँटो, रहो न खामखयाली में, कानों को जो सबको भाये, वैसा साज बजाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- चहल-पहल होती पर्वों पर, हाट और बाजारों में, सावधान रहना है सबको, चूक न हो रखवाली में, काँटे-कंकड़ रहे न पथ में, ऐसी राह बनाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- भरी हुई है वैज्ञानिकता, भारत के त्यौहारों में, प्रीत-रीत से दिये जलाओ, घर-आँगन दीवारों में, ईद-दिवाली-होली मिलकर, सबके साथ मनाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- ब्रह्मा बन कच्ची माटी को, देते जो आकारों में, खुशियाँ लाती है दीवाली, कारीगर कुम्भारों में, उनकी रचनाकारी का भी, कुछ तो दाम लगाओ तुम। अपने घर में मिट्टी के ही, दीपक सदा जलाओ तुम।। -- |
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