-- दिन है देवोत्थान का, व्रत-पूजन का खास। भोग लगा कर ईश को, तब खोलो उपवास।। -- होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम। दुनिया में सबसे बड़ा, नारायण का नाम।। -- मंजिल की हो चाह तो, मिल जाती है राह। आज रचाओ हर्ष से, तुलसी जी का ब्याह।। -- पूरी निष्ठा से करो, शादी और विवाह। बढ़ जाता शुभ कर्म से, जीवन में उत्साह।। -- चलकर आये द्वार पर, नारायण देवेश।। आयी है एकादशी, लेकर शुभ सन्देश।। -- खेतों में अब ईख ने, खूब सँवारा रूप। खाने को मिल जायगा, नवमिष्ठान अनूप।। -- पावन-निर्मल हो गया, गंगा जी का नीर। सुबह-शाम बहने लगा, शीतल-सुखद समीर।। |
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शनिवार, 13 नवंबर 2021
दोहे "होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक)
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(14-11-21) को " होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम"( चर्चा - 4248) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
अति उत्तम दोहे आ0
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंउत्तम दोहे
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