हाथ जोड़कर कीजिए, ईश्वर से फरियाद। कुछ ऐसा रच दीजिए, दुनिया रक्खे याद।१। -- अपने दोहों में भरो, उपयोगी सन्देश। दोहों से ही कीजिए, कुछ पावन परिवेश।२। -- उतना सौदा लीजिए, जितना लाओ दाम। छल-फरेब करना नहीं, इंसानों का काम।३। -- नहीं झूठ के पाँव हैं, सच होता बलवान। सदा हिमायत झूठ की, करते हैं शैतान।४। -- घिर आये आकाश में, सुबह-सुबह घन श्याम। धान रोपने खेत में, अब चल पड़े किसान।५। -- छम-छम पानी बरसता, बादल करते शोर। हरियाली बिखरी हुई, धरती पर चहुँ ओर।६। -- जाड़े-पाले में हमें, अच्छा लगता घाम। बारिश से बरसात में, मिलता है आराम।७। -- गरमी का मौसम गया, शुरू हुआ चौमास। नभ के निर्मल नीर से, बुझी धरा की प्यास।८। -- |
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शनिवार, 9 जुलाई 2022
दोहे "बादल करते शोर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-7-22) को "बदलते समय.....कच्चे रिश्ते...". (चर्चा अंक 4486) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
वाह!गज़ब कहा सर 👌
जवाब देंहटाएंकुछ सामायिक कुछ नीति परक सभी सुंदर सुघड़ दोहे।
जवाब देंहटाएं