दिल बहकने लगा आज ज़ज़्बात में -- शायद रिश्ता हो उनसे किसी जन्म का वो रहे होंगे अपने कभी साथ में -- प्यार तो एक शतरंज का खेल है हमको आने लगा है मज़ा मात में -- प्रीत बिकती नहीं है किसी हाट में ये तो दिलवर ही देते हैं सौगात में -- नग़मगी ख़्वाब हम हैं सजाये हुए वो ही छाये हुए हैं ख़यालात में -- हमने देखा है दिल “रूप” देखा नहीं बन्द हैं हम तो दिल की हवालात में -- |
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शुक्रवार, 15 जुलाई 2022
ग़ज़ल "आने लगा है मज़ा मात में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना! नग़मगी ख़्वाब हम हैं सजाये हुए
जवाब देंहटाएंवो ही छाये हुए हैं ख़यालात में
--- ये शेर सबसे अच्छा लगा।
वाह। क्या बात है।
जवाब देंहटाएंप्यार तो एक शतरंज का खेल है
हमको आने लगा है मज़ा मात में
सच में, प्रेम तो देने का, परास्त हो जाने का ही व्यवहार है।
भावपूर्ण, वाह!
जवाब देंहटाएंप्रीत बिकती नहीं है किसी हाट में
जवाब देंहटाएंये तो दिलवर ही देते हैं सौगात में
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब दोहे ।