गाथाओं से भुजबल फड़कें, जिनकी शौर्य कथाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। जाँबाजी से जो उत्तर देते हैं, शातिर तोपों का, डट कर करते रोज सामना, आतंकी दुर्योगों का, कभी न हार मानते सैनिक, सीमा पर बधाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। लोग सिरफिरे दल-दलदल है, जिसमें मैली-पंक भरी, नहीं सुहाती उनको अपनी, सौम्य वाटिका हरी-भरी, कृष्ण-कन्हैया बन कर करते, छेड़-छाड़ राधाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। डींग मारते बड़ी-बड़ी वो, बेमतलब बतियाते हैं, निर्धन श्रमिक-किसानों की जो धरती को हथियाते हैं, सुख मिलता ऐसे लोगों को, उमड़ी हुई व्यथाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। ओछी हरकत करके जो, इतिहास कलंकित करते हैं, वो भारत-माँ के माथे पर, कालिख अंकित करते हैं, करते हैं परिहास हमारे, सीमा के योद्धाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। |
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सोमवार, 25 जुलाई 2022
गीत "वीरों की गाथाओं से" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देश के वीरों को समर्पित सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसदैव की भाँति आपकी प्रेरक रचना...कारगिल दिवस पर भारतीय वीरों को सलाम...🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जवाब देंहटाएंसुन्दर, गौरवान्वित करती रचना!
जवाब देंहटाएंवीरों को समर्पित सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएं