समीक्षा “खिलते प्रसून” (काव्य संग्रह) (कविताओं की सरिता) साहित्य की दुनिया में भारती दास
अब तक ऐसा नाम था जो केवल कविताओं तथा ब्लॉग लेखन के लिए ही जाना जाता था।
किन्तु हाल ही में इनका काव्य संग्रह “खिलता
प्रसून” प्रकाशित हुआ तो लगा कि ये न केवल एक गृहणी है
अपितु एक सफल कवयित्री भी हैं। यद्यपि इससे पूर्व में भी कई मित्रों की कृतियाँ मेरे पास समीक्षा-भूमिका के लिए कतार में थीं परन्तु इस काव्य संग्रह को सांगोंपांग बाँचकर प्राथमिकता के साथ मेरी अंगुलियाँ कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर चलने लगीं और कुछ शब्द अंकित हो गये।
साहित्य की दो विधाएँ हैं गद्य
और पद्य, जो साहित्यकार की देन होती हैं और वह
समाज को दिशा प्रदान करती हैं, जीने का मकसद बताती हैं।
कथाकारों ने अपनी कहानियों के माध्यम से समाज को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया
है। “खिलता प्रसून” भी स्वरचित
कविताओं का एक ऐसा ही प्रयोग है। जो कवयित्री भारती दास की कलम से निकला है। जैसे माता अपने शिशुओं को पोषित और पल्लवित करती है कुशल
गृहणी होते हुए भी अपने चूल्हे-चौके की दिनचर्या में से समय निकालकर कवयित्री ने
अपने काव्य को पुस्तकरूप दिया है। एक गृहणी की साहित्य निष्ठा देखकर मुझे प्रकृति के सुकुमार चितेरे श्री सुमित्रानन्दन पन्त जी की यह पंक्तियाँ याद आ जाती हैं- "वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान। निकल कर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान।।" दस-पन्द्रह दिन पूर्व मुझे इनका “खिलता
प्रसून” नामक काव्य संकलन प्राप्त हुआ। जिसने मुझे खासा प्रभावित किया और मैं इसको पढ़ने के लिए स्वयं को रोक न सका। कवयित्री ने अपने काव्य संग्रह में यह सिद्ध कर दिया है कि वह न केवल एक कवयित्री हैं बल्कि शब्दों की कुशल चितेरी भी हैं। अपने काव्य संग्रह का प्रारम्भ आपने बसन्त के सुन्दर सुन्दर चित्रण से कुछ इस प्रकार शब्दों को उकेरा है- "था सूना ये मन का आँगन उपहार प्यार का
भर लाये चिर बसन्त फिर
घर आये, मैं एकानत में टूट रही थी गम-विषाद से
जूझ रही थी मौन पड़ था
कोना-कोना विवश-विकल सब
भूल रही थी।।" कवयित्री ने अपने देश को सर्वोपरि
मानकर उसके सपूत की कामना को कुछ इस प्रकार से व्यक्त किया है- "तेरे पुत्र ने वाँधा है कफन जिसने किया तुझ
पर सितम उसका मिटा
देंगे भरम हमने तो खाई है
कसम तेरे लिए
निकलेगा दम।।" कवयित्री ने राम-मन्दिर
के निर्माण को लेकर अपनी कलम कुशलता के साथ चलाई है। देखिए- "दीप जलायें खुशी मनायें इक-दूजे को गले लगायें स्वर्ग उतर आया हा धरा पर आज रामजी लौटे हैं घर" सावन में वर्षा के न होने पर
कवयित्री ने "आया सावन सूना है मन" रचना को अपने शब्द कुछ इस प्रकार
से दिये हैं- "आया सावन सूना है मन बूँद न बरसी
छलका है गम संकट में शिव
का आराधन देव नहीं मन्दिर
के प्रांगण" एक अन्य रचना "मैं धीर सुता
मैं नारी हूँ" में कवयित्री ने नारी शक्ति को उजागर करते हुए लिखा है- "सलिला कण के जैसी हूँ मैं कभी कहीं भी
मिल जाती हूँ रीत कोई हो या
हों रस्में आसानी से ढल जाती हूँ ..... मैं धीर सुता मैं नारी हूँ तृष्टि का श्रृंगार हूँ मैं हर रूपों में जूझती रहती राग विविध झंकार हूँ मैं" मूलतः बंगाल की धरती में पली-बढ़ी
भारती दास ने अपने काव्य संग्रह में राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति अपने अनुराग को
कुछ इस प्रकार व्यक्त किया है- " भारत के भाल की बिन्दी हूँ जैसे सूरज चाँद
चमकते वैसे मस्तक पर
सजती हूँ मैं हिन्दी
हूँ-मैं हिन्दी हूँ" "काल के जाल" रचना में
कवयित्री ने अपने शब्दों इस प्रकार बाँधा है- "काल के नेत्र लाल-लाल ओष्ट काले
भयंकर कपाल स्मित भयंकर
वेश विकराल मन्थर गति और
क्रूर चाल" देखने में यह आया है कि कवयित्री भारती दास ने मानवीय संवेदनाओं पर तो अपनी संवेदना बिखेरी है साथ ही प्राकृतिक उपादानों को भी अपनी रचना का विषय बनाया है। "खिलते प्रसून” (काव्य संग्रह) को पढ़कर मैंने अनुभव किया है कि कवयित्री ने भाषिक सौन्दर्य के अतिरिक्त काव्य की सभी विशेषताओं का संग-साथ लेकर जो निर्वहन किया है वह अत्यन्त सराहनीय है। मुझे पूरा विश्वास है कि पाठक “खिलते प्रसून” (काव्य संग्रह) कृति को पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे और यह कृति समीक्षकों की दृष्टि से भी उपादेय सिद्ध होगी। हार्दिक शुभकामनाओं
के साथ- दिनांकः 22-07-2022 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) कवि एवं साहित्यकार टनकपर-रोड, खटीमा जिला-ऊधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) Mobile No. 7906360576 Website-Uchcharan.blogspot.com/ E-Mail-roopchandrashastri@gmail.com |
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शुक्रवार, 22 जुलाई 2022
पुस्तक समीक्षा "खिलते प्रसून काव्य संग्रह" (समीक्षक-डॉ..रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर समीक्षा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंआपकी इस स्नेह और आशीष के लिए सदा ही कृतज्ञ रहूंगी
'खिलते प्रसून' काव्य संग्रह प्रकाशन पर भारती दास जी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुति
बहुत सुन्दर समीक्षा...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं भारती जी!
आदरणीय भारती जी की पुस्तक के सकारात्मक बिंदुओं के साथ कवयित्री के व्यक्तित्व को रेखांकित करती आपके द्वारा की गये पुस्तक समीक्षा प्रभावशाली है आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंप्रणाम
सादर।
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएं