यज्ञ-हवन करके करो, अपने गुरु का ध्यान। जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।। भूल गया है आदमी, ऋषियों के सन्देश। अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश। गुरू-शिष्य में हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार। गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार। गुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।(१)। -- संस्कार देता गुरू, पाता सिख अमिताभ। बिना दीक्षा के नहीं, शिक्षा का कुछ लाभ। अन्तस को दे रौशनी, गुरू ज्योति का पुंज। गुरु के शुभ आशीष से, सुरभित होय निकुंज। सद्गुरु अपने शिष्य को, देता हरदम ज्ञान। जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।(२)। -- तीन गुरू संसार में, मात-पिता-आचार्य। इन तीनों की कृपा से, बनते सारे कार्य। आया कैसा समय है, बदल गयी है रीत। गुरुओं के प्रति है नहीं, पहले जैसी प्रीत। श्रद्धा के बिन शिष्य का, कैसे हो उत्थान। जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।(३)। -- दुराचरण की नाक में, कैसे पड़े नकेल। सम्बन्धों की विश्व में, सूख रही है बेल। मर्यादा दम तोड़ती, बिगड़ गया परिवेश। बदनामी को झेलता, राम-कृष्ण का देश। कदम-कदम पर हो रहा, गुरुओ का अपमान। जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।(४)। -- पश्चिम की अश्लीलता, अपनाते हैं लोग। भोगवाद को देखकर, सहम गया है योग। अब तो पूजा-पाठ से, मोह हो गया भंग। सी.ड़ी. में ही कर रहे, पण्डित जी सत्संग। गिरगिट जैसा रंग अब, बदल रहा इंसान। जग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।(५)। -- |
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मंगलवार, 12 जुलाई 2022
दोहागीत "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत ही बढ़ियां सृजन
जवाब देंहटाएंगुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुंदर दोहे हैं!
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूबसूरत सृजन ।सही है सद्गगुरुबिना ज्ञान कहाँ मिलता है ।गुरु की महिमा अपार है ।
जवाब देंहटाएंगुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान
जवाब देंहटाएंजग में मिलता है नहीं, बिन सद्गुरु के ज्ञान।गुरु पूर्णिमा पर सुंदर सृजन!
गुरु कृपा बनी रहे
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
सादर