-- आज मित्रता-दिवस पर, रखना इतना याद। नहीं मित्र के साथ में, करना कभी विवाद।। -- सौ-सौ बार विचारिए, क्या होता है मित्र। खूब जाँचिए-परखिए, उसका चित्त-चरित्र।। -- हम तो प्रतिदिन माँगते, दुनियाभर की खैर। अमन-चैन से सब रहें, अपने हों या गैर।। -- जहाँ एक दिन मित्रता, बाकी दिन हो बैर। उस पथ में तो भूलकर, कभी न रखना पैर। -- मतलब की अब मित्रता, मतलब का सब प्यार। मतलब से ही कर रहे, लोग प्यार-मनुहार।। -- हँसी-खेल मत समझिए, दुनिया बड़ी विचित्र। जीवन में है मित्रता, पावन और पवित्र।। -- जिसको अपना कह दिया, वो जीवनभर मीत। सच्ची होनी चाहिए, दिल में उपजी प्रीत।। -- उनसे कैसी मित्रता, जो करते हैं घात। ऐसे लोगों से बचो, जो करते उत्पात।। -- करते मुख के सामने, मीठी-मीठी बात। होता नहीं कुतर्क से, कोई भी विख्यात।। -- मनवाना जो चाहता, जबरन अपनी बात। वो दुर्जन करता सदा, सज्जन पर आघात।। -- दुष्ट नहीं माने कभी, धर्म-कर्म उपदेश। उलटे लगते हैं उसे, उपयोगी सन्देश।। -- बिना विचारे जो करे, वाणी का संधान। वो मानव के रूप में, होता है हैवान।। -- |
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शनिवार, 30 जुलाई 2022
दोहे "अन्तरराष्ट्रीय मित्रता-दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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