स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व सन्ध्या पर मुशकिल से हमको मिला, आजादी का तन्त्र। सबको जपना चाहिए, स्वतन्त्रता का मन्त्र।। आजादी के साथ में, मत करना खिलवाड़। तोड़ न देना एकता, ले मजहब की आड़।। मत-मजहब या जाति का, नहीं किया अभिमान। आजादी के समर में, हुए सभी बलिदान।। |
दुनिया में विख्यात है, भारत का जनतन्त्र। लोकतन्त्र के साथ में, मत करना षड़यन्त्र।। मुरझाने मत दीजिए, प्रजातन्त्र की बेल। आपस में रखना यहाँ, भाईचारा-मेल।। कई दशक के बाद अब, सुधर रहा परिवेश। विकसित होता जा रहा, अपना भारत देश।। |
बिना शस्त्र संधान के, मिला देश को मान। आज विदेशों में बढ़ी, निज भारत की शान।। उस शासक को नमन है, जिसने किया कमाल। दुनिया भर में योग का, दीप दिया है बाल।। शासक अपने देश का, करते ऊँचा नाम। नतमस्तक होकर करें, सारे देश सलाम।। -- |
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंदुनिया में विख्यात है, भारत का जनतन्त्र।
जवाब देंहटाएंलोकतन्त्र के साथ में, मत करना षड़यन्त्र।।
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एक से बढ़कर एक दोहे। गागर में सागर जैसे इन दोहों को सभी को पढ़ना चाहिए। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ सर। आपको पुन: सक्रिय देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। सादर।
लोकतन्त्र के साथ में, मत करना षड़यन्त्र।
जवाब देंहटाएं- सबसे बड़ी बात,सुन्दर कविता.
सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंकिन्तु लोकतंत्र के साथ नित्य ही षड्यंत्र हो रहा है और यही हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है.