विघ्नविनाशक आप हो, सभी गणों के ईश। पूजा करते आपकी, सुर-नर और मुनीश।। -- करता है आराधना, मन से सकल समाज। बिना आपके तो नहीं, होते मंगल काज।। -- दीपों के त्यौहार में, होता दिव्य निवेश। घर में लाते हैं सभी, लक्ष्मी और गणेश।। -- पार्वतीनन्दन प्रभो, शिवजी के हो पूत। नहीं आपकी दृष्टि में, कोई वृन्द अछूत।। -- शुक्ल चतुर्थी से शुरू, चतुर्दशी अवसान। दस दिन रहता देश में, श्रद्धा का उन्वान।। -- सॉँझ-सवेरे आरती, उसके बाद प्रसाद। होता है दरबार में, घण्टा-ध्वनि का नाद।। -- गणनायक भगवान की, महिमा बहुत अनन्त। कृपा आपकी हो अगर, जीवन बने बसन्त।। -- मोदक हैं प्रिय आपको, गणनायक भगवान। बनकर वाहन आपका, मूषक हुआ महान।। -- |
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मंगलवार, 30 अगस्त 2022
दोहे "गणनायक भगवान की महिमा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह जय हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंगणपति उत्सव के अवसर पर इस सुंदर स्तुति गान का हृदय से आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंगणोत्सव के अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति आराधना मन को शांति देने वाली है। आपको बहुत-बहुत बधाई सर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर दोहों में भगवान विघ्नेश्वर की स्तुति की है आपने .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे...
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