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निर्भाव बिजूके को फटकारती बेहतरीन प्रासंगिक रचना जोश और खरोश की .इसी की ज़रुरत है .
जवाब देंहटाएंपैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज ।
जवाब देंहटाएंठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज ।
शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया ।
नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया ।
आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना ।
बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।।
बहुत बढ़िया ..शायद हम सब भी यही कहना चाहते हैं .
जवाब देंहटाएंवाकई आखिर कब तक मौन रहोगे !!
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार लिख-लिखकर थक गए लेकिन इन मौनी बाबा को हिम्मत ही नहीं आती।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .हम सब लिख-लिखकर थक गए .
जवाब देंहटाएंकुछ भी कहे जाओ मौनी बाबा का मौन नही टूटेगा बस यही इस देश पर लगा सबसे बडा ग्रहण है
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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जवाब देंहटाएंपैमाना अब सब्र का, कांग्रेस लबरेज ।
ठोकर मारेंगे भड़क, शान्ति-वार्ता मेज ।
शान्ति-वार्ता मेज, दामिनी को दफनाया ।
नक्सल के इक्कीस, पाक की हरकत जाया ।
आज पड़ी जो मार, मरे अब्दुल दीवाना ।
बेगाने का व्याह, छलक जाता पैमाना ।।
ये तो हद है भाई साहब आस्तीनों के सांप से यारी कैसी ?मारो पाकियों को ...
अब तो दो आदेश युद्ध का,
जवाब देंहटाएंआखिर कब तक मौन रहोगे?,,,उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,
ना जाने कब मोह भंग होगा,,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
'युद्ध' तो साम्राज्यवादी=सांप्रदायिक शक्तियाँ चाहती ही हैं परंतु वह समाधान नहीं है। 'शांति' चाहते हैं तो 'भारत-पाक-बांग्लादेश महासंघ' का गठन करना और साम्राज्यवाद=साम्प्र्डायवाद को शिकस्त देना होगा।
जवाब देंहटाएंडेढ़ दोस्त
सारगर्भित रचना.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया...........
जवाब देंहटाएंलगता है इस सरकार का मौन कभी नहीं टूटेगा :(
विजयराजबली माथुर जी!
जवाब देंहटाएंइसकी क्या गारंटी है कि पाकिस्तान अपनी गन्दी हरकतें बन्द कर देगा!
सोचना होगा कि आखिर हमें अच्छे संबंधों की चाह से क्या मिला
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति
New post : दो शहीद
बहुत बढ़िया ..शायद हम सब
जवाब देंहटाएंभी यही कहना चाहते हैं
बहुत सशक्त प्रभावी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाकई...दुश्मन के जीवन हरने का वक्त आ गया है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति बहुत चिंतनीय स्थिति है इस देश की जिसका प्रधानमन्त्री ऐसा हो बिलकुल ठीक लिखा है आपने नव वर्ष की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंक्यों फैली है क्षुब्ध निराशा,
जवाब देंहटाएंचोट हृदय पर, द्विगुणित आशा।