जब आता है दुःख तभी, सागर सा लोचन रोता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। हार नही मानी जिसने, बहती नदियों-नहरों से, जल को लिया समेट स्वयं, गिरती-उठती लहरों से, रत्न वही पाता है जो, मंथक सक्षम होता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। जो फूलों के संग काँटों को, सहन किये जाता है, जो अमृत के साथ गरल का, घूँट पिये जाता है, शीत, ग्रीष्म और वर्षा में, वो नहीं असम होता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। |
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बुधवार, 16 जनवरी 2013
“लोचन रोता है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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sundar bhavo se susajit prastuti,जो फूलों के संग काँटों को,
जवाब देंहटाएंसहन किये जाता है,
जो अमृत के साथ गरल का,
घूँट पिये जाता है,
शीत, ग्रीष्म और वर्षा में,
वो नहीं असम होता है।
आँसू का अस्तित्व,
नहीं सागर से कम होता है।।
जो अमृत के साथ गरल का,
जवाब देंहटाएंघूँट पिये जाता है,
शीत, ग्रीष्म और वर्षा में,
वो नहीं असम होता है।
जो ऐसा कर पाते हैं उन्हें ही सच्चा आनंद मिल पाता है. सुन्दर रचना.
बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंआभार गुरूजी ||
रत्न वही पाता है जो,
जवाब देंहटाएंमंथक सक्षम होता है।
आँसू का अस्तित्व,
नहीं सागर से कम होता है।।
बहुत बढ़िया !
जब आता है दुःख तभी,
जवाब देंहटाएंसागर सा लोचन रोता है।
आँसू का अस्तित्व,
नहीं सागर से कम होता
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुती,आभार।
बहुत उम्दा,भावपूर्ण प्रस्तुति,,,आभार
जवाब देंहटाएंजो फूलों के संग काँटों को,
जवाब देंहटाएंसहन किये जाता है,
जो अमृत के साथ गरल का,
घूँट पिये जाता है,..
जीवन को ऐसे ही लोग जी पाते हैं ... कुछ नाम कर जाते हैं ...
बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ ... नमस्कार शास्त्री जी ...
बिल्कुल, अन्तर केवल परिमाण का है.
जवाब देंहटाएंलाज़वाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसागर की गहराई और दुख की गहराई, दोनों ही खारे..
जवाब देंहटाएंसम की स्थिति बहुत विषम है.
जवाब देंहटाएंकविता आपकी इसमें सक्षम है.
आंसूं की कथा व्यथा कहती सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही भाव प्रवण रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट की चर्चा 17-01-2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
behtreen...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी !! गहरे एहसास ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंदुःख सुख दोनों अश्रु संग संग
सहज प्रवाहित होता है, वाकई
आंसू का अस्तित्व नहीं सागर से
कम होता है ......आदरणीय की
भावपूर्ण रचना के लिए आभार ....!
भावपूर्ण एवं सुन्दर !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति -आंसू का अस्तित्व नहीं सागर से कम होता है
जवाब देंहटाएंआदरनीय मयंक जी बहुत ही सुन्दर कविता |आभार
जवाब देंहटाएंसागर जितना भरा हुआ हो
जवाब देंहटाएंउतना सागर बन रोता है!
शानदार प्रस्तुति हमारी आँखों में ही सागर होता है जो कभी गम में कभी ख़ुशी में छलकता है बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएं