गया
शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
गंगा
जी के तट पर, अपनी खिचड़ी खूब पकाओ,
खिचड़ी
खाने से पहले, निर्मल जल से तुम नहाओ,
आसमान
में खुली धूप को सूरज लेकर आया।
गया
शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
स्वागत
करो बसन्त ऋतु का, जीवन में रस घोलो,
तिल-चौलाई
के लड्डू को खाकर मीठा बोलो,
इस
अवसर पर सबके मन में है उल्लास समाया।
गया
शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
![]()
खुशियों
की डोरी से नभ में अपनी पतंग उड़ाओ,
मन
में भरकर जोश जीत का जमकर पेंच लड़ाओ,
झुण्ड
पंछियों का नभ में, यह खेल देखने आया।
गया
शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
कुछ
दिन में ध्वज फहरायेंगे, भारतभाग्यविधाता,
प्यारा
सा गणतन्त्रदिवस भी इसी माह में आता,
पर्व सलोना त्यौहारों की गठरी को संग लाया।
गया
शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
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सोमवार, 14 जनवरी 2013
"खिचड़ी खूब पकाओ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत खूबसूरत आह्वान …………मकर संक्रांति की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशीत ऋतू में खिचड़ी खाने में मजा तो आता है परन्तु दिल्ली दरबार में डिजेल ,गैस को लेकर जो खिचड़ी पक रही है उस से तो पेट दरद शुरू हो गया है,खिचड़ी खाए कैसे .-आपकी रचना बहुत अच्छी है.
जवाब देंहटाएंऔर कुछ हो न हो किन्तु हम भारतीयों को खिचडी पकाने में खूब दक्षता हासिल है :) मकर संक्रांति की शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंस्वादिष्ट खिचड़ी ||
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति पर्व की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसूर्य आज उत्तरपथ आता..
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
आपकी स्वादिष्ट खिचड़ी बहुत आत्मा को भायो .....
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,
recent post: मातृभूमि,
मकर संक्रांति की शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएं✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
धनु से मकर लग्न में सूरज, आज धरा पर आया।
गया शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया।।
वाह आदरणीय डॉ. शास्त्री जी वाह !
कोई ऐसा विषय नहीं , कोई ऐसी बात नहीं , जिस पर आप गीत-कविता न लिख पाएं ...
मां सरस्वती की कृपा बनी रहे ।
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿
सभी दृश्य रचना में समाहित, वाह ! आनंद आ गया.....
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की पुनः बधाई सहित सुन्दर रचना के लिए आभार ....
जवाब देंहटाएंसंक्रांति का अर्थ "संयुक्त क्रान्ति" समझने का वक्त है आया ...
गया शिशिर का समय और ठिठुरन का हुआ सफाया
शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबड़ी स्वादिष्ट खिचड़ी पक गयी ..मजा आ गया ...
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति पर्व की शुभकामना!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दिवस उत्सव के सभी रंग समेटे है यह रचना .
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...आपको भी मकर संक्रांति की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बढ़िया सुमधुर गीत, मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएं