चार दिनों का ही मेला है, सारी दुनियादारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
अमर समझता है अपने को, दुनिया का हर प्राणी,
छल-फरेब के बोल, बोलती रहती सबकी वाणी,
बिना मुहूरत निकल जायेगी इक दिन प्राणसवारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
ठाठ-बाट और महल-दुमहले, साथ न तेरे जायेंगे,
केवल मरघट तक ही सारे, रस्म निभाने आयेंगे,
जिन्दा लोगों से सब रखते, अपनी नातेदारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
काम-क्रोध, मद-लोभ सभीकुछ, जीते-जी की माया,
धू-धू करके जल जायेगी, इक दिन तेरी काया,
आने के ही साथ बँधी है, जाने की तैयारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
याद करे तुझको दुनिया, तू ऐसा पुण्य कमाता जा,
मरने से पहले ऐ प्राणी, सच्चा पथ अपनाता जा,
जीवन का अवसान हो रहा, सिमट रही है पारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 19 जनवरी 2013
"भजन-दुनियादारी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
शाश्वत सत्य जीवन का वैराग्य माया मोह सभी कुछ समेटे है यह रचना .शुक्रिया हमें चर्चा मंच पे बनाए रखने के लिए .
जवाब देंहटाएंइस चार दिन की दुनियादारी में किये हुए अच्छे पुण्य कर्म ही श्मशान के बाद भी साथ निभाते है।बहुत ही सुन्दर प्यार भजन।
जवाब देंहटाएंक्षमा करें,प्यारा भजन।
हटाएंयाद करे तुझको दुनिया, तू ऐसा पुण्य कमाता जा,
जवाब देंहटाएंमरने से पहले ऐ प्राणी, सच्चा पथ अपनाता जा,
जीवन का अवसान हो रहा, सिमट रही है पारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
यही है आदर्श जीवन दर्शन..आभार इन सुंदर पंक्तियों के लिए..
प्रभावी प्रस्तुति ।।
जवाब देंहटाएंआभार ।।
लोग इतना ही ध्यान कर लें तो दुनिया के झगड़े यूं ही मिट जायें.
जवाब देंहटाएंबढिया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
काम-क्रोध, मद-लोभ सभीकुछ, जीते-जी की माया,
जवाब देंहटाएंधू-धू करके जल जायेगी, इक दिन तेरी काया,
आने के ही साथ बँधी है, जाने की तैयारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
यही है शाश्वत सत्य …………एक सुन्दर संदेश देती बेहतरीन रचना।
बढिया संदेश देती रचना !
जवाब देंहटाएंअन्त सभी को जाना लेकिन जीवन पूर्ण निभाना है।
जवाब देंहटाएंआने के ही साथ विदा की होते देखी तैयारी ,
जवाब देंहटाएंखत्म लगी होने खुलते ही मेरी जीवन मधुशाला .
बढ़िया प्रस्तुति कबीर दर्शन लिए है .आभार आपकी द्रुत टिपण्णी का .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
शनिवार, 19 जनवरी 2013
कहीं आप युवा कांग्रेस की राहुल सेना तो नहीं ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
याद करे तुझको दुनिया, तू ऐसा पुण्य कमाता जा,
जवाब देंहटाएंमरने से पहले ऐ प्राणी, सच्चा पथ अपनाता जा,
जीवन का अवसान हो रहा, सिमट रही है पारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
बहुत शानदार, सार्थक सन्देश देती रचना,,,, शास्त्री जी बधाई स्वीकारे,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
वाह! वाह! वाह! वाह! बहुत सुन्दर ह्रदय को छु गयी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंआने के साथ बंधी है जाने की तैय्यारी ..
बहुत खूब !
याद करे तुझको दुनिया, तू ऐसा पुण्य कमाता जा,
मरने से पहले ऐ प्राणी, सच्चा पथ अपनाता जा,
जीवन का अवसान हो रहा, सिमट रही है पारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
कौन समझता है आने के बाद जाना भी है ..
अधिकतर तो यही मानते हैं की वो 'अमर ' हैं ....
यथार्थ संदेश दिया है आपने। लेकिन वाह-वाह करने वाले भी अमल नहीं करेंगे। उनका अपना अहंकार आड़े आ जाएगा। थोड़ा धन या थोड़ी अक्ल ज़्यादा पाकर वे लोग खुद को खुदा समझते हैं।
जवाब देंहटाएंबात की बात कि बेबात की फिक्र ---विजय राजबली माथुर
बहुत उम्दा भजन -जीवन का सार आपने बता दिया ....... कुछ बोलना नहीं सिर्फ महसूस करना है.
जवाब देंहटाएंNew post : शहीद की मज़ार से
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति***^^^***याद करे तुझको दुनिया, तू ऐसा पुण्य कमाता जा,
जवाब देंहटाएंमरने से पहले ऐ प्राणी, सच्चा पथ अपनाता जा,
जीवन का अवसान हो रहा, सिमट रही है पारी।
लेकिन नहीं जानता कोई, कब आयेगी बारी।।
सब जानते हैं मगर लगे रहते हैं दुनियादारी में...सत्यबोध कराती प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएं