![]() आने वाला है बसन्त, अब प्रणय दिवस में देर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर
होगा अन्धेर नहीं।।
धूप गुनगुनी पाकर, मादक
नशा बहुत चढ़ जायेगा,
सूरज यौवन पर आयेगा,
तापमान बढ़ जायेगा,
तूफानों में चलते रहते, रुकते
कभी दिलेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर
होगा अन्धेर नहीं।।
धन से सब कुछ मिल जायेगा, लेकिन
मिलता प्यार नहीं,
इससे बढ़ कर दुनिया में, होता
कोई उपहार नहीं,
नादिरशाही से कोई भी, खिलता
पीत कनेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर
होगा अन्धेर नहीं।।
जो दिल से उपजे वो ही तो, ग़ज़ल
कही जाती है,
नेह भरा पानी पी कर, ही
तो बहार आती है,
काँटे उगते हैं बबूल में, खट्टे-मीठे
बेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर
होगा अन्धेर नहीं।।
बन्दर को अदरख खाने में, स्वाद
नहीं आ पाता है,
किन्तु करेले को मानव, खुश
हो करके खा जाता है,
आँखोंवालों के हिस्से में, आती
कभी बटेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर
होगा अन्धेर नहीं।।
|
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मंगलवार, 29 जनवरी 2013
"आने वाला है बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जो दिल से उपजे वो ही तो, ग़ज़ल कही जाती है,
जवाब देंहटाएंनेह भरा पानी पी कर, ही तो बहार आती है,
काँटे उगते हैं बबूल में, खट्टे-मीठे बेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर होगा अन्धेर नहीं।।
शानदार !
बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबन्दर को अदरख खाने में, स्वाद नहीं आ पाता है,
जवाब देंहटाएंकिन्तु करेले को मानव, खुश हो करके खा जाता है,
आँखोंवालों के हिस्से में, आती कभी बटेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर होगा अन्धेर नहीं।।
बेहतरीन भाव लिए उम्दा प्रस्तुति ,,,,,,
बसन्त के सन्त का मौसम आने वाला है..
जवाब देंहटाएंवसंत के बहाने कितना कुछ कह गया आपका यह गीत...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर भाव..आभार
जवाब देंहटाएंवसंत के आगमन की दस्तक देता सुन्दर रचना है शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंआशा
कुंहरा छटने में अभी, दिखता लंबा वक्त |
जवाब देंहटाएंहम में से हर एक को, लेना निर्णय शख्त |
लेना निर्णय शख्त, हवा बदलाव बहायें |
सदाचार सदनीति, प्रेम-आदर्श निभायें |
पर सत्ता कमबख्त, लगा बैठी है पहरा |
तन मन दें धन-रक्त, छ्टे तब गुरुवर कुंहरा |
वसंत आगमन के स्वागत पर सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंNew post तुम ही हो दामिनी।
bahut sunderta ke saath swagat kiye hain aap vasant ka......
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंधूप गुनगुनी पाकर, मादक नशा बहुत चढ़ जायेगा,
सूरज यौवन पर आयेगा, तापमान बढ़ जायेगा,
तूफानों में चलते रहते, रुकते कभी दिलेर नहीं।
कुहरा छँटने ही वाला है, फिर होगा अन्धेर नहीं।
सुन्दर गीत है .राष्ट्रीय कोहरा भी छ्टे .प्रेम दिवस पर प्रेम पनपे .
बहुत सुन्दर और आनन्ददायक कविता है.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति, सुन्दर गीत ***^^^***आने वाला है बसन्त, अब प्रणय दिवस में देर नहीं।
जवाब देंहटाएंकुहरा छँटने ही वाला है, फिर होगा अन्धेर नहीं।।
बसंत के तो आने की ख़बर ही प्रसन्न ही कर देती है
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (30-01-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
इस रचना को पढ़कर सच में लग रहा है कि --- आने वाला है वसंत!
जवाब देंहटाएंवसंत आगमन के स्वागत में सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव ...उम्मीद है वसंत के साथ तारीक हालातों से भी कोहरा उठे और उजाला हो.
जवाब देंहटाएंअब लगा कि वाकई बसंत आने वाला है...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवसंत आगमन की बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
:-)
शास्त्री जी वसंत आने में अभी १५ दिन की देरी है ...और अभी ठण्ड है कि जाने का नाम नहीं ले रही
जवाब देंहटाएं