ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
आज उसी का अभिनन्दन है!
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
सीधी-सादी सोनचिरैया,
राजनीति से त्रस्त हुई है,
मक्कारों की करतूतों से,
भोली जनता ग्रस्त हुई है,
सूख गई वाटिका प्यार की,
वीराना कानन नन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
जिनको समझा परम हितैषी,
हुए लुटेरे वो अधिकारी,
खादी की केंचुली पहन कर,
लूट रहे हैं खेती-क्यारी,
मँहगाई के कारण अब तो,
चारों ओर मचा क्रन्दन हैं।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
जब अबला की लाज लुटी थी,
जवाब देंहटाएंये गीदड़ घर में बैठा था,
जब-जब बहस हुई संसद में,
ये अपने मद में ऐंठा था,
आज उसी का अभिनन्दन है!
एक झन्नाटेदार रचना कस कर तमाचा मारा है आपने …………नमन है आपके लेखन को
शांतचित्त गुरुवर व्यथित, गीदड़ की सरकार |
जवाब देंहटाएंकुत्ते इज्जत लूटते, नारी करे पुकार |
नारी करे पुकार, गला सैनिक का रेता |
धारदार हथियार, किन्तु बैठा चुप नेता |
इनकी जय जय कार, देश भक्तों को गाली |
सारी जनता आज, बन गई सवाली ||
Sundar aur karara vichar , जब अबला की लाज लुटी थी,
जवाब देंहटाएंये गीदड़ घर में बैठा था,
जब-जब बहस हुई संसद में,
ये अपने मद में ऐंठा था,
आज उसी का अभिनन्दन है!
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
आँसूं पोछने को आता नही,अब करवाता है अभिनन्दन।
जवाब देंहटाएंसब तरफ चापलूसों की है दुनियाँ,करना इनका मर्दन।।
खानदानी अभिनन्दन पर करारेदार तमाचा,बहुत ही भावपूर्ण रचना,धन्य है आपकी लेखनी।
बाबा नागार्जुन की याद दिला दी आपने।
जवाब देंहटाएंसच्ची कविता । राहुल की हाइपोक्रेसी और कांग्रेस जनों का लांगूलचालन ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजितने हरामखोर थे कुर्बो -जवार में
परधान बनके आ गए अगली कतार में
दीवार फांदने में यूँ जिनका रिकार्ड था
वो चौधरी बने हैं उमर के उतार में
चिंतन शिविर का ढोंग (पहली क़िस्त )
जवाब देंहटाएंइस देश को आज़ादी दिलाने का दावा जो कांग्रेस करती आई है वह अंशतया
सही है ,सम्पूर्ण सच नहीं है .सम्पूर्ण सच तो यह है कि दूसरे विश्वयुद्ध के
बाद इंग्लैण्ड की स्थिति इतनी ज़र्ज़र हो गई थी कि वह भारत जैसे विशाल
देश को अपने पंजे में दबाए रखने की शक्ति खो चुका था .रही सही कसर
1946 के नौसैनिक विद्रोह ने पूरी कर दी थी .
देश के असंख्य क्रांतिकारियों के बलिदानों और महात्मा गांधी की अहिंसक
क्रान्ति ने मिलकर अंग्रेजी शासकों की नींद हराम कर दी थी .वीरसावरकर
,सुभाषचन्द्र बोष जैसे क्रांतिकारी कर्मशीलों और संगठित सैनिक शक्ति के
रूप में उभरी आज़ाद हिन्द फौज की दृढ़ता ने विदेशी शासकों की जड़ों में
मठ्ठा डाल दिया था .गांधीजी तो कांग्रेस के चवन्निया सदस्य भी नहीं थे
इसलिए उनकी नैतिक शक्ति को अपनी कायर नीतियों से जोड़ना कांग्रेस
की बे -शर्मी है .गांधी जी के आगमन से पहले तक यानी 1920 के आसपास
तक कांग्रेसी नेताओं ने अंग्रेजी सरकार की चापलूसी के वक्तव्य देने और
कहीं कहीं समझौते की मुद्रा अपनाने के सिवाय कुछ उल्लेखनीय नहीं
किया था .इसलिए इतिहास का वास्तविक सच तो यही है कि भारत की
आज़ादी की
लड़ाई में कांग्रेस की कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है .1920 से सन 1947
तक कांग्रेस की एक मात्र उपलब्धि यही है कि धर्म के आधार इस देश को
बंटवाने का निंदनीय और अधूरा कार्य कांग्रेस के नेताओं ने किया .अगर
इस पर भी कांग्रेस गर्वित होती है तो शर्मशार कब होगी ,जब एक
पाकिस्तान और बनवा देगी? जयपुर चिंतन शिविर में इन्हीं दो मुद्दों पर
चिंतन होना चाहिए था .पर चापलूस तालियों के बीच राहुल गांधी की पीठ
पर उपाध्यक्ष की मोहर लगा देने से क्या मिल गया ?सच्चे कांग्रेसियों को
इस पर अपने शुद्ध अंत :करण से विचार करना चाहिए .
(ज़ारी )
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
जवाब देंहटाएंगीदड़ ने रँग लिया बदन को,
ख़ानदान का ही वन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
अजी कैसा चिंतन मंथन .देश के एक और बंटवारे की तैयारी है .आरक्षित कोटे का गृहमंत्री राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन एवं प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा को अभिनवभारत (कथित )हिन्दू आतंकवादी संगठन को ट्रेनिंग मुहैया करवाने वाला गाठ जोड़ बतलाता है .वह" चुप्प्पा मुंह" जो कभी -कभी ही खुलता है इस देश के संशाधनों पर मुसलामानों का पहला हक़ बतलाता है .और ये मंदमति बालक जिसकी पीठ पे उपाध्यक्ष होने का ठप्पा लगा दिया गया है हिन्दू आतंकवाद को जिहादी आतंवाद से ज्यादा खतरनाक बतलाता है .यदि ऐसा है तो भारत सरकार क्या कर रही है .साध्वी प्रज्ञा और कई अन्यों को अँधेरे में क्यों रखा हुआ है कसाब क्यों नहीं बना देती उनका .
ये सेकुलर जो कल तक इंसान थे नहीं जानते ये कह क्या रहें हैं .वह वक्र मुखी भोपाली बाज़ीगर कह रहे थे मैं तो यह बात कब से कह रहा हूँ आतंकी संगठन है आर एस एस और भाजपा .गृह मंत्री ने तो आज कहा है .पूछा जा सकता है .क्या गृह मंत्री को कहने के लिए बिठाया हुआ है कुछ करते क्यों नहीं .पाकिस्तान को और हिन्दुस्तान में सभी स्लीपर सेल्स को आतंकियों के ठिकानों को शै दे रहे हैं आओ खुलकर खेलो बहुत दिन हो गए धमाका नहीं हुआ पटाखे नहीं छूटे सेकुलर भारत में .यही मौक़ा है आओ पाकिस्तान आओ .दिल्ली पे धावा बोलो .हम हिन्दू आतंकवादियों का नाम लगायेंगे .एक और पाकिस्तान बनायेंगे .
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
बहुत करारा व्यंगात्मक कवित, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?...koi nahin samajh pa raha hai.
जवाब देंहटाएंये कोई चिंतन मंथन नहीं था बल्कि ये राहुल के नाम का कीर्तन था !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंडाकुओं से घिरा हो कोई अगर
लगता है उस समय
कोई बात नहीं
सबसे अच्छा है जो
उसके घर का है
उसके अपने घर का
ही है जो चोर है!
शास्त्री जी - ये परिंदे जो हवा में सनसनी घोले हुए हैं एक और पाकिस्तान बनवाना चाहते हैं .ये सब ताली बजाने वाले चापलूस हैं .इसनकी साजिशें नाकाम करनी होंगी .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
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सोमवार, 21 जनवरी 2013
चिंतन शिविर का ढोंग
http://veerubhai1947.blogspot.in/
जनता अब जाग चुकी है ... मंथन क्रंदन सब जानती है ... करारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंसटीक एवं प्रासंगिक पंक्तियाँ ......
जवाब देंहटाएंजयपुर के चिंतन शिवर पर करारा व्यंग्य
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