तितली आई! तितली आई!!
रंग-बिरंगी, तितली आई।।
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे।
आँखों को लगते हैं प्यारे।।
फूलों पर खुश हो मँडलाती।
अपनी धुन में हो इठलाती।।
जब आती बरसात सुहानी।
पुरवा चलती है मस्तानी।।
तब तुम अपनी चाल दिखाती।
लहरा कर उड़ती बलखाती।।
पर जल्दी ही थक जाती हो।
दीवारों पर सुस्ताती हो।।
बच्चों के मन को भाती हो।
इसीलिए पकड़ी जाती हो।।
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रविवार, 14 अप्रैल 2013
"बच्चों के मन को भाती हो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम बहुत ही सुन्दर रचना है बच्चों को तो बहुत ज्यादा पसंद आने वाली है ये रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बच्चों को पसंद आने वाला बेहतरीन बाल गीत,,,,,आभार
जवाब देंहटाएंमनभावन कविता. गुनगुनाने लायक.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मनमोहक बाल कविता,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंमनमोहम बाल रचना ...
जवाब देंहटाएंbachho ke liye shabdo ke fulo ka sundar guldasta
जवाब देंहटाएंsunder baal rachna
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,
अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..
प्यारी सी बाल कविता
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी प्यारी तितली..
जवाब देंहटाएंसुन्दर -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय ||