सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।
मेरा घर है सबसे प्यारा।।
खुला-खुला सा नील गगन है।
हरा-भरा फैला आँगन है।।
पेड़ों की छाया सुखदायी।
सूरज ने किरणें चमकाई।।
कल-कल का है नाद सुनाती।
निर्मल नदिया बहती जाती।।
तन-मन खुशियों से भर जाता।
यहाँ प्रदूषण नहीं सताता।।
लोग पुराने यह कहते हैं।
कच्चे घर अच्छे रहते हैं।।
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बुधवार, 24 अप्रैल 2013
"मेरा घर है सबसे प्यारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सच में अब तो ऐसा घर स्वप्न बन कर रहा गया है...बहुत सुन्दर बालगीत...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता शास्त्री जी ...!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल रचना के साथ सुन्दर पेंटिंग !!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय !!
बहुत सुन्दर बाल कविता शास्त्री जी ...!!
जवाब देंहटाएंअपने घर की बात ही और होती है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंप्यारा यह घरबार हमारा..
जवाब देंहटाएंhamara ghar kitana pyara kitana nyara ... bahut badhiya baal geet hai ...
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
खुला-खुला सा नील गगन है।
जवाब देंहटाएंहरा-भरा फैला आँगन है।।-------
आपने घर की एक नयी सार्थक परिभाषा प्रस्तुत की है
वाकई जीवन का सच यही है
प्रणाम आपको
सच में ऐसा घर स्वप्न हो गया है....आपने घर की एक नयी व सार्थक परिभाषा प्रस्तुत की है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता , गाँव की याद दिल दी
जवाब देंहटाएंlatest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
SUNDAR BAL GEET
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल कविता और प्यारा सा चित्र ....
जवाब देंहटाएंकच्चे घर अच्छे लगते हैं, बहुत खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंबढिया, क्या बात
जवाब देंहटाएंखुबसूरत सपनों का घर
जवाब देंहटाएंऐसे घर अब कहाँ ?
बहुत ही सुंदर बाल कविता,सादर आभार.
जवाब देंहटाएंsundar baal rachna...
जवाब देंहटाएं