नन्हे सुमन से
एक रचना (फोटोफीचर) आप कभी धोखा मत खाना!
कमल नहीं इनको बतलाना!!
शाम ढली तो ये ऐसे थे।
दोनों बन्द कली जैसे थे।।
जैसे-जैसे हुआ अंधेरा।
खुलता गया कली का चेहरा।।
बढ़ती रही सरल मुस्काने।
अदा अनोखी लगी दिखाने।।
अब पंखुड़ियाँ थीं
फैलाई।
देख कुमुदिनी थी शर्मायी।
दोनों ने जब नज़र मिलाई।
अपनी मोहक छवि दिखलाई।।
अन्धकार अब था गहराया।
कुमुद खुशी से था लहराया।।
एक रूप है एक रंग है!
कमल-कुमुद के भिन्न ढंग हैं।।
कमल हमेशा दिन में खिलता।
कुमुद रात में हँसता मिलता।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना 03-05-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर।
बहुत ही सुन्दर कविता,आभार.
जवाब देंहटाएंफूलों से मिलकर रहना सीखो,
आपस में खुश रहन सीखो....
फूल हैं ये कितने कोमल,
सुंदर दिखते हैं ये हर पल....
बढिया रचना पहले भी पढी है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...साथ ही जाना की कमल और कुमुदनी में क्या अन्तेर है...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर ...
बहुत सुन्दर कुमुदिनियो के फूल है
जवाब देंहटाएंदोनों में अंतर बताती बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,आभार
जवाब देंहटाएंRECENT POST: मधुशाला,
आयु के क्रमिक विकास को प्रकट करने वाली रचना|वात्सल्य में 'श्रृंगार' का समावेश कैसे -कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता !रचना अच्छी है |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुंदर प्रस्तुति ,,,आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना और चित्र
जवाब देंहटाएंफूल से शब्द, फूल के शब्द..
जवाब देंहटाएंकोमलता का एहसास ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहद खूब सूरत चित्रमय काव्य .आनंद वर्षन कर गया .
जवाब देंहटाएंकहां के चित्र हैं शास्त्री साहब., बहुत सुन्दर हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपने तो चित्त प्रसन्न कर दिया -आभार !
जवाब देंहटाएं