ज़िन्दग़ी तार-तार मत करना
कोई वादा-क़रार मत करना
भावनाओं के जोश में आकर
राहगीरों से प्यार मत करना
ज़लज़ले नाख़ुदा नहीं होते
ज़ालिमों से पुकार मत करना
अपने दिल की सफेद चादर को
बेवज़ह दाग़दार मत करना
अपना दामन बचाना फूलों से
“रूप” का ऐतबार मत करना
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शनिवार, 6 अप्रैल 2013
"ग़ज़ल-राहगीरों से प्यार मत करना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत ही सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल....
सरल और सहज भाव....
सादर
अनु
बहुत सुन्दर गुरूदेव! आपकी कलम का कोई सानी नहीं।
जवाब देंहटाएंभावनाओं के जोश में आकर
जवाब देंहटाएंराहगीरों से प्यार मत करना
सुंदर ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंपानी की धारा सी स्वच्छंद बहती खुबसूरत गजल !
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my post कोल्हू के बैल
अपने दिल की सफेद चादर को
जवाब देंहटाएंबेवज़ह दाग़दार मत करना ,,,,
बहुत बेहतरीन सुंदर गजल !
RECENT POST: जुल्म
अच्छी सीख देती गज़ल
जवाब देंहटाएंपरदेसियों से न अखियाँ मिलाना ...?
जवाब देंहटाएंवाह!
बेहतरीन सीख देती सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़ल है
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन ग़ज़ल है, सर जी. मुबारक हो !
जवाब देंहटाएंइस गज़लिका में कोमल भावना में 'यथार्थ ' को बड़े कायदे से पिरोया गया है !!
जवाब देंहटाएंअपना दामन बचाना फूलों से
जवाब देंहटाएं“रूप” का ऐतबार मत करना
बहुत सुन्दर है ,बहुत खूब है .
bahut sunder ghazal mayank daa
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल !
जवाब देंहटाएंसुन्दर नीति-वाक्य. जो मानेगा ,सुखी रहेगा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंभावनाओं के जोश में आकर
जवाब देंहटाएंराहगीरों से प्यार मत करना....waah.....saare hi acche hain....
अपना दामन बचाना फूलों से
जवाब देंहटाएं“रूप” का ऐतबार मत करना
बढ़िया गजल सभी अशआर अर्थपूर्ण सावधान करते हुए माया मोह से .काया मोह से .
जवाब देंहटाएंबहुत सहजता से कही गई गहरी बात ..बहुत खूब शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंनमन करता हूं मैं आप की अदभुत लेखनी को
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं भावपूर्ण रचना...
आप की ये रचना 12-04-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं