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ROCHAK Sansmaran !
जवाब देंहटाएंkafi rochak laga sanamaran...
जवाब देंहटाएंअब इस उम्र में बस यही रोचक यादें बाकी रह गई है,,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर संस्मरण..आभार
जवाब देंहटाएंजी सुंदर हास्य घटना
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : 'मूर्ख दिवस '
अत्यंत रोचक संस्मरण. मूर्ख दिवस की आपको विशेष हार्दिक शुभकामनाएं.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
रोचक संस्मरण ... :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंबढिया यादगार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार2/4/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
जवाब देंहटाएंकिसी बुज़ुर्ग को इस तरह.... ख़ैर! वो भी तो बच्चे ही थे...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
रोचक संस्मरण..
जवाब देंहटाएंachha hua aapne nahee khilaaya dahee boora
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक संस्मरण,आभार.
जवाब देंहटाएंसच है बड़े के साथ ऐसी मजाक नहीं करनी चाहिए। लेकिन हम सब ही कर बैठते हैं।
जवाब देंहटाएंगुरूदेव बहुत रोचक संस्मरण प्रस्तुत किया आपने। हंसी रूक नहीं रही। आपका आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए।
जवाब देंहटाएंरोचक संस्मरण
जवाब देंहटाएंये तो है।
जवाब देंहटाएंDEAR SIR,
जवाब देंहटाएंI NEED YOUR SUPPORT,SUJJETIONS & MARKS TO MAKE MY ALL BLOGS MORE USEFULL FOR PEOPLE..
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पंडित दयानन्द शास्त्री
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