यौवन है सबसे बड़ा, कुदरत का उपहार। सुन्दरता तो स्वयं में, होती है शृंगार।। होता है सौन्दर्य का, नयनों से दीदार।। बढ़ती है जब आयु तो, आते हैं बदलाव।। होती है आकाश में, चाल ग्रहों की वक्र।। घटता बढ़ता है सदा, ऋतुओं में दिनमान।। नहीं हमेशा फूलता, जीवन का उद्यान।। कविता की बारीकियाँ, नहीं समझते लोग।। |
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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020
दोहे "आते हैं बदलाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 16-10-2020) को "न मैं चुप हूँ न गाता हूँ" (चर्चा अंक-3856) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
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"मीना भारद्वाज"
बदलाव एक शाश्वत सत्य है।
जवाब देंहटाएंलिखने का ऐसा बढ़ा, दुनिया में अब रोग।
जवाब देंहटाएंकविता की बारीकियाँ, नहीं समझते लोग.
वाह वाह बहुत ही शानदार और कटु सत्य
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVaah ... parivartan jeevan ka niyam hai ...
जवाब देंहटाएंसमय न रहता एक सा, रखना इतना ध्यान।
जवाब देंहटाएंघटता बढ़ता है सदा, ऋतुओं में दिनमान।।
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कभी रूप की धूप पर, मत करना अभिमान।
नहीं हमेशा फूलता, जीवन का उद्यान।।
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लिखने का ऐसा बढ़ा, दुनिया में अब रोग।
कविता की बारीकियाँ, नहीं समझते लोग।।
एक से बढ़ कर एक दोहे....
साधुवाद आदरणीय 🙏🍁🙏