-- पथ दिखलाने के लिए, आते हैं नवरात्र। उनका ही सत्कार हो, जो आदर के पात्र।। -- जग को देता ऊर्जा, नभ में आकर नित्य। देवों में सबसे बड़ा, कहलाता आदित्य।। -- सुबह-शाम परिवेश में, होता है लालित्य। आराधन कर इष्ट का, रचो ललित-साहित्य।। -- जो होते हैं देवता, करते नहीं अनिष्ट। इसीलिए तो हम उन्हें, कहते अपना इष्ट।। -- वसुन्धरा पर देव हैं, मात-पिता-आचार्य। जीवन में त्रय देव का, वन्दन है अनिवार्य।। -- रहते हैं जो आपके, जीवन में अनुकूल। उनके बारे में नहीं, कहना ऊल-जुलूल।। -- प्रेमभाव से कीजिए, सबके साथ विकास। बिना बात की बात ही, कहलाती बकवास।। |
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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020
दोहे "सबके साथ विकास" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पथ दिखलाने के लिए, आते हैं नवरात्र।
जवाब देंहटाएंउनका ही सत्कार हो, जो आदर के पात्र।।
बहुत सही
नवरात्र की शुभकामनाएं!
प्रेरक दोहे आदरणीय शास्त्री जी, कास आज की पाश्चात्य संस्कृति प्रेरित पीढ़ी हमारे इन पूज्य और प्रेरक तीज त्यौहारों की प्रसांगिकता समझ पाती। आपकी सृजनता को नमन करता हूँ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१०-१०-२०२०) को 'सबके साथ विकास' (चर्चा अंक-३८५०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
वाहः
जवाब देंहटाएंसुन्दर-सुन्दर दोहे
नीति के सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंअंतिम दोहा सब से अच्छा लगा। सब को पढ़ना चाहिए।
जवाब देंहटाएं