-- महक रहा है मन का आँगन, दबी हुई कस्तूरी होगी। दिल की बात नहीं कह पाये, कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- सूरज-चन्दा जगमग करते, नीचे धरती, ऊपर अम्बर। आशाओं पर टिकी ज़िन्दग़ी, अरमानों का भरा समन्दर। कैसे जाये श्रमिक वहाँ पर, जहाँ न कुछ मजदूरी होगी। कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- प्रसारण भी ठप्प हो गया, चिट्ठी की गति मन्द हो गयी। लेकिन चर्चा अब भी जारी, भले वार्ता बन्द हो गयी। ऊहापोह भरे जीवन में, शायद कुछ मजबूरी होगी। कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- हर मुश्किल का समाधान है, सुख-दुख का चल रहा चक्र है। लक्ष्य दिलाने वाला पथ तो, कभी सरल है, कभी वक्र है। चरैवेति को भूल न जाना, चलने से कम दूरी होगी। कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- अरमानों के आसमान का, ओर नहीं है, छोर नहीं है। दिल से दिल को राहत होती, प्रेम-प्रीत पर जोर नहीं है। जितना चाहो उड़ो गगन में, चाहत कभी न पूरी होगी। कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- “रूप”-रंग पर गर्व न करना, नश्वर काया, नश्वर माया। बूढ़ा बरगद क्लान्त पथिक को, देता हरदम शीतल छाया। साजन के द्वारा सजनी की, सजी माँग सिन्दूरी होगी। कुछ तो बात जरूरी होगी।। -- |
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सोमवार, 19 अक्तूबर 2020
गीत "कुछ मजदूरी होगी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकैसे जाये श्रमिक वहाँ पर,
जवाब देंहटाएंजहाँ न कुछ मजदूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
सुन्दर।
अरमानों के आसमान का,
जवाब देंहटाएंओर नहीं है, छोर नहीं है।
दिल से दिल को राहत होती,
प्रेम-प्रीत पर जोर नहीं है।
जितना चाहो उड़ो गगन में,
चाहत कभी न पूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
सुन्दर शिक्षाप्रद गीत...
हर बात जरूरी होगी..
जवाब देंहटाएंवाहः..
वंदन.. साधुवाद
चरैवेति को भूल न जाना,
जवाब देंहटाएंचलने से कम दूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
अत्यंत प्रेरणादायक पंक्तियों हेतु साधुवाद 🙏
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंचरैवेति को भूल न जाना,
जवाब देंहटाएंचलने से कम दूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
बहुत सुन्दर सृजन ।
आदरणीय डॉ रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" सर, नमस्ते👏! बहुत सुंदर गीत है। हर छंद उत्तम है, अनुपम हौ। ये पंक्तियाँ :
जवाब देंहटाएंप्रसारण भी ठप्प हो गया,
चिट्ठी की गति मन्द हो गयी।
लेकिन चर्चा अब भी जारी,
भले वार्ता बन्द हो गयी। लाजवाब हैं। हार्दिक साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ
अरमानों के आसमान का,
जवाब देंहटाएंओर नहीं है, छोर नहीं है।
दिल से दिल को राहत होती,
प्रेम-प्रीत पर जोर नहीं है।
जितना चाहो उड़ो गगन में,
चाहत कभी न पूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
--बेहतरीन गीत आदरणीय।
संक्षिप्त और सुंदर रचना गागर में सागर सुंदरम मनोहरम
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