कवियों की रचनाओं में,
होते भाव प्रधान। |
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सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 30-10-2020) को "कितना और मुझे चलना है ?" (चर्चा अंक- 3870 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
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"मीना भारद्वाज"
न तो उच्चारण शुद्ध रह गया है न लेखन -भाषा और शब्दों के सावधान प्रयोग आज की महती आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएंवन्दन
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन हेतु साधुवाद
बहुत सुन्दर प्रेणना देती हुई रचना है मान्यवर👌👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दोहे आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआज के अधिकतर रचनाकारों में धैर्य और बड़ों से सीखने की ललक नहीं है। रचनाकारों में ही नहीं, नई पीढ़ी के सभी लोगों में यही अतिआत्मविश्वास, विनम्रता की कमी और 'मुझे सब आता है' का भाव दिखाई देता है।
जवाब देंहटाएंउपयोगी एवं सटीक सीख देते दोहे। सादर प्रणाम।
बहुत सुन्दर व अनुपम।
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