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गुरुवार, 5 अप्रैल 2012
"ग़ज़ल-आशा शैली हिमाचली" (प्रस्तोता-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

वाह क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंइसे भी देखें-
‘घर का न घाट का’
प्रकृति का बहुत सुन्दर वर्णन!...सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है इस आंचलिक गज़ल के ... मज़ा आ गयुआ ...
जवाब देंहटाएं....सुन्दर, अति सुन्दर, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंयह उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच भी है |
आइये कुछ अन्य लिंकों पर भी नजर डालिए |
अग्रिम आभार |
FRIDAY
charchamanch.blogspot.com
वाह, कोमल भावों की सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR .AABHAR
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE ON FACEBOOK AND WISH OUR INDIAN HOCKEY TEAM ALL THE BEST FOR LONDON OLYMPIC ...DO IT !
वाह!!!!!!बहुत सुंदर गजल ,अच्छी प्रस्तुति,..
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...फुहार....: दो क्षणिकाऐ,...
झाड़-पोंछ पफेंक आई जीवन की कुण्ठा
जवाब देंहटाएंघर की हर एक दिशा आज लूँ संवार
बहुत खूब ... !!
बहुत बढ़िया सर................
जवाब देंहटाएंसादर.
bahut baDhiyaa!!
जवाब देंहटाएंbahot sunder......
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