वो कहलाते हैं गुब्बारे।। गलियों-बाजारों, ठेलों में। गुब्बारे बिकते मेलों में।। काले-लाल, बैंगनी-पीले। कुछ हैं हरे-बसन्ती, नीले।। पापा थैली भरकर लाते। जन्मदिवस पर इन्हें सजाते।। फूँक मारकर इन्हें फुलाओ। हाथों में ले इन्हें झुलाओ।। सजे हुए हैं कुछ दुकान में। कुछ उड़ते हैं आसमान में।। मोहक छवि लगती है प्यारी। गुब्बारों की महिमा न्यारी।। |
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शनिवार, 7 अप्रैल 2012
‘‘गुब्बारे’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आपके गुब्बारे मन को भा गए ....
जवाब देंहटाएंजन्मदिन मनाने का जी करने लगा.............
जवाब देंहटाएं:-)
सादर.
सुन्दर सुन्दर, रंग-बिरंगी गुब्बारे!...बच्चों के साथ साथ बड़ों का मन भी मोह रहे है!
जवाब देंहटाएंवाह रे |
जवाब देंहटाएंगुब्बारे |
लगे दिल को
बड़े प्यारे
ये ढेर सारे
रंग विरंगे
गुब्बारे ||
वाह!!!!!!बहुत सुंदर बाल रचना,अच्छी प्रस्तुति,...
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
गुब्बारे हैं प्यारे प्यारे..
जवाब देंहटाएंवाह शाष्त्री जी ,मनमोहक चित्र -बाल- गीत से हम भी लाभान्वित हुए आनंद बटोरा रंग बिरंगे गुब्बारों का नन्ने अन्नेनन्नों का .
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगे प्यारे प्यारे, कितने सारे हैं गुब्बारे..
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल गीत।
जवाब देंहटाएंBahut Sunder Baal Rachna
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar baal rachana,,
जवाब देंहटाएंman moh liya hai is sundar si rang -birangi rachana ne,,
bahut ...sundar.....
रंग विरंगे गुब्बारे.
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना बच्चों के लिए.
जवाब देंहटाएंवाह: गुब्बारों की रंग-बिरंगी दुनिया..सुन्दर..
जवाब देंहटाएंName Gopal kumar mob 993443148 mail Id ngopalsharma@gmail.com
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएं!बहुत सुंदर गुब्बारों की दुनिया..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमयी रचना...
जवाब देंहटाएंबड़े ही प्यारे हैं ये गुब्बारे... और बड़ी ही प्यारी है गुब्बारों वाली ये कविता... थैंक्यू अंकल!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता है अंकल....:)
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