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बुधवार, 11 अप्रैल 2012
"हो नही सकता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वीराना जैसा अपना चमन हो नही सकता।
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
अनुपम भाव संयोजन लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति।
इस पर फिर एक बार दाद देनी ही पड़ेगी.
जवाब देंहटाएंदिन कठिन हैं पर अच्छा समय आयेगा।
जवाब देंहटाएंसही बात है |
जवाब देंहटाएंबिलकुल अपना चमन हमेशा ही आबाद और जिंदाबाद रहेगा |
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आभार ||
इस सार्थक प्रविष्टि के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और उत्कृष्ट प्रस्तुति....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण और मनभावन कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति ..आभार...
जवाब देंहटाएंवीराना जैसा अपना चमन हो नही सकता।
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
वीरों ने इसे सींचा है शोणित की धार से,
जवाब देंहटाएंसन्तों ने सँवारा है बहुत लाड़-प्यार से,
मुर्झाया हुआ इसका सुमन हो नही सकता।
इतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
बहुत सुन्दर....
आपकी सुंदर सोच का
जवाब देंहटाएंजब साथ हो सकता है
इतना उदास कोइ कैसे
आसपास हो सकता है ।
सुंदर अभिव्यक्ति !!!
तस्वीर ब्लॉग :
जवाब देंहटाएंhttp://aed280e5.allanalpass.com
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साकार शत्रुओं का सपन हो नही सकता।
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
prabhaavit karti hui panktian bahut sundar.
bahut achchi lagi......
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नहीं सकता ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रेरक गीत !
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा - 847:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वीराना जैसा अपना चमन हो नही सकता।
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
वाह बहुत खूब ....जो उदास हो जाये वो फूल नहीं हो सकता
साकार शत्रुओं का सपन हो नही सकता।
जवाब देंहटाएंइतना उदास फूलों का मन हो नही सकता।।
सत्य को उकेरती सुन्दर रचना