मित्रों! आज प्रस्तुत है बेमौसम का गीत ताप धरा का कम करने को, नभ में काले बादल छाए। सूखे ताल-तलैया भरने, आँचल में लेकर जल आये।। मनभावन मौसम हो आया, लू-गर्मी का हुआ सफाया, ठण्डी-ठण्डी हवा चली है, धान खेत में हैं लहराये। सूखे ताल-तलैया भरने, आँचल में लेकर जल आये।। उमड़-घुमड़कर गरज रहे हैं, झूम-झूमकर लरज रहे हैं, लाल-लाल लीची फूली हैं, आम रसीले मन को भाये। सूखे ताल-तलैया भरने, आँचल में लेकर जल आये।। आँगन-चौबारों में पानी, नदियों में आ गई रवानी, मेढक टर्र-टर्र टर्राते, हरे सिंघाड़े बिकने आये। सूखे ताल-तलैया भरने, आँचल में लेकर जल आये।। सात रंग से सजा रूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, बच्चे गलियों के गड्ढों में कागज वाली नाव चलायें। सूखे ताल-तलैया भरने, आँचल में लेकर जल आये।। |
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रविवार, 29 अप्रैल 2012
"बेमौसम का गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
bas kuchh dino me ye mausam aane hi vala hai ...bahut sundar bhaav bahut sundar indrdhanushi rachna.
जवाब देंहटाएं्कुछ छींटे तो पड़ने ही चाहिए....बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंगीतों का तो अपना ही मौसम होता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
बहुत ही सुन्दर है ये कविता... इतनी ज़बरदस्त गर्मी है बाहर... लेकिन इस कविता को पढ़ते-पढ़ते ऐसा लगने लगा जैसे सचमुच बाहर मौसम बहुत ही सुहाना हो गया है... ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी है और बारिश हो रही है....:)
जवाब देंहटाएंबेमौसम का गीत भी बड़े समय से आया है।
जवाब देंहटाएंअधिक व्यस्त था |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ||
Excellent creation!
जवाब देंहटाएंगर्मी के मौसम में हो रही बेमौसम बारिश का गीत भी बेमौसम का ही होगा !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंसुन्दर वर्णन बरसात का...
जवाब देंहटाएंबहुत स्ंदर रचना ...शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएं