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शनिवार, 28 अप्रैल 2012
‘‘मेरी पसन्द के सात दोहे’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बढ़िया संदेश.
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे गुरु जी ।।
जवाब देंहटाएंआभार ।।
रोटी कपडा से हुआ, पहले आज मकान ।
खाय विटामिन गोलियां, मानव फिर नंगान ।।
नारी के प्रति सोच को, न बदले नादान ।
देखेगी दुनिया सकल, खुद अपना अवसान ।।
बहुत बिखेरी आपने सच्ची नीति औ ज्ञान
जवाब देंहटाएंकरते हैं तारीफ़ हम,धन्य धन्य अभिज्ञान.
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन दोहे,..
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
सुन्दर संदेश देते सार्थक दोहे
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देते सार्थक दोहे.......
जवाब देंहटाएंराजनीति है वोट की, खोट, नोट भरमार।
जवाब देंहटाएंपढ़े-लिखों को हाँकते, अनपढ़, ढोल, गवाँर।३।
राजनीति अर्थ और समाज नीति का सार तत्व लिए है ये संक्षिप्त दोहावली .बधाई .कृपया यहाँ भी पधारें
शनिवार, 28 अप्रैल 2012
मंगल भवन अमंगल हारी...
http://veerubhai1947.blogspot.in/
सातों ही बन्ध बहुत सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंसभी दोहे बहुत सार्थक और सुंदर..आभार
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapne.
जवाब देंहटाएंसज़ा दिलाने के लिए यहां सदियां दरकार हैं।
देखिए एक लघुकथा
विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)
http://mankiduniya.blogspot.com/2012/04/dispute-short-story.html
सुन्दर संदेश देते सार्थक दोहे,.....
जवाब देंहटाएंदोहों मे छिपा जीवन का ज्ञान..
जवाब देंहटाएंlazabab.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे....
जवाब देंहटाएंछिपा खजाना ज्ञान का, पुस्तक हैं अनमोल।
जवाब देंहटाएंइनको कूड़ा समझ कर, रद्दी में मत तोल।४।
बहुत सुंदर और प्रेरक दोहे।
राजनीति है वोट की, खोट, नोट भरमार।
जवाब देंहटाएंपढ़े-लिखों को हाँकते, अनपढ़, ढोल, गवाँर।
बिल्कुल सही बात है,
यही हो रहा है आजकल।
आपकी पसंद के दोहे.. सभी एक से बढ़कर एक
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंकजी,
जवाब देंहटाएंकितने सरल और भाव संप्रेषण में अनोखे हैं आपके ये दोहे. मैं तो बस आपकी रचनाओं का मुरीद बन चुका हूं।