देश-वेश और जाति, धर्म का, मन में कुछ भी भेद नहीं। भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।। सरदी की ठण्डक में ठिठुरा, गर्मी की लू झेली हैं, बरसातों की रिम-झिम से जी भर कर होली खेली है, चप्पू दोनों सही-सलामत, पर नौका में छेद कहीं। भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।। सुख में कभी नही मुस्काया, दुख में कभी नही रोया, जीवन की नाजुक घड़ियों में, धीरज कभी नही खोया, दुनिया भर की पोथी पढ़ लीं, नजर न आया वेद कहीं। भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।। आशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है, कभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है, गलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं। भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।। |
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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
"नजर न आया वेद कहीं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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यथार्थ को स्पष्ट करती सुदर रचना!
जवाब देंहटाएंगलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं।भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
.....आभार!
दार्शनिकता के भावों से परिपूर्ण रचना ....बहुत सुन्दर कुछ अलग
जवाब देंहटाएंभावों में दार्शनिकता और संतुष्टि परिलक्षित करती कविता.
जवाब देंहटाएंआशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है,
जवाब देंहटाएंकभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है,
गलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
.....जीवन की सच्चाई का गहन और सुंदर प्रवाहमयी चित्रण...आभार
छेद नाव में होने से भी, कभी नहीं नाविक घबराया ।
जवाब देंहटाएंजल-जीवन में गहरे गोते, सदा सफलता सहित लगाया ।
इतना लम्बा अनुभव अपना, नाव किनारे पर आएगी -
इन हाथों पर बड़ा भरोसा, बाधाओं को पार कराया ।
अगर स्वार्थ के काले चेहरे, थाली में यूँ छेद करेंगे -
भौंक भौंक के भूखे मरना, किस्मत में उसने लिखवाया ।।
नाव दुबारा फिर उतरेगी, पार करेगी सागर खारा ।
रखियेगा पतवार थाम के , डाक्टर फिक्स-इट छेद भराया ।।
सारगर्भित सत्य.
जवाब देंहटाएंजीवन अनुभव छिटकाती पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंशाष्त्री जी सच यही है जीवन तो जी लिया अब तो रिहर्सल है .कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं .बहुत दिया देने वाले ने तुझको ,आँचल ही न समाये तो क्या, कीजे ,बीत गए जैसे ये दिन रैना ,बाकी भी कट जाए ,देश-वेश और जाति, धर्म का, मन में कुछ भी भेद नहीं।भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।दुआ कीजे .वीरुभाई सी ४ ,अनुराधा ,कोलाबा , नेवल ऑफिसर्स फेमिली रेज़िदेंशियल एरिया (नोफ्रा ) नेवी नगर, मुंबई-४००-००५
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
आरोग्य की खिड़की
आरोग्य की खिड़की
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_992.html
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
जवाब देंहटाएंआपने सही फरमाया,सुंदर रचना,.....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन पोस्ट
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
आशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है,
जवाब देंहटाएंकभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है!
जीवन का सार यही है !
गलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं।………बेहद उम्दा और सारगर्भित रचना
जवाब देंहटाएंveerubhai ने कहा…
जवाब देंहटाएंनाव दुबारा फिर उतरेगी, पार करेगी सागर खारा ।जीवन पथ पे चलते चलते, कभी पथिक न हारा .
कृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html
मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट
Posted 26th April by veerubhai
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html
आशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है,
जवाब देंहटाएंकभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है!
behtareeen.....
क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर