![]() चार दिनों की ज़िन्दगी, काहे का अभिमान। धरा यहीं रह जाएगा, धन के साथ गुमान।। जिनका सरल सुभाव है, उनका होता मान। लम्पट, क्रोधी-कुटिल का, नहीं काम का ज्ञान।। धन के सब स्वामी बने, नहीं कहावें दास। जो बन जाते दास हैं, रहते वही उदास।। कर्म बनाता भाग्य को, यह जीवन-आधार। कर्तव्यों के साथ में, मिल जाता अधिकार।। हित जिससे होवे जुड़ा, वो ही है साहित्य। सभी विधाओं में रहे, शब्दों में लालित्य।। |
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bhut sundar ,jeevan mulyon ko samjha jaye aese bhav haen bdhai.
जवाब देंहटाएंहित जिससे होवे जुड़ा, वो ही है साहित्य।सभी विधाओं में रहे, शब्दों में लालित्य।
जवाब देंहटाएंसभी दोहे बहुत ही सुन्दर और विविध जानकारी से भरे हुए...आभार!
सार्थक सन्देश देते बहुत सुन्दर दोहे...आभार
जवाब देंहटाएंप्रेम से गुजारनी हो, चार दिन की जीवनी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देते सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंसभी दोहे एक से बढकर एक
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
अद्भुत ..!
जवाब देंहटाएंकर्म बनाता भाग्य को, यह जीवन-आधार।
जवाब देंहटाएंकर्तव्यों के साथ में, मिल जाता अधिकार।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर दोहे,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
कर्म बनाता भाग्य को, यह जीवन.आधार।
जवाब देंहटाएंकर्तव्यों के साथ में, मिल जाता अधिकार।।
जीवन सूत्र बताते सुंदर दोहे।
जीवन सूत्रों को रहे, गुरुवर मस्त पिरोय ।
जवाब देंहटाएंकरे आचरण आज से, बुद्धिमान जो होय ।।
जीवन दर्शन का सत्य
जवाब देंहटाएंये जीवन सत्य है, भले ही कलयुग के प्रभाव में हम इसको स्वीकार नहीं कर पाते हें लेकिन ये एक शाश्वत सत्य है जिसे आपने दोहों में उतारा है. आभार !
जवाब देंहटाएंनीते के दोहे, प्रभावशाली हैं और प्रेरक भी।
जवाब देंहटाएंनीते के दोहे, प्रभावशाली हैं और प्रेरक भी।
जवाब देंहटाएंवाह ! सुंदर !
जवाब देंहटाएंये भी बता दो सिक्कोँ का घड़ा है
घर के किस कोने में गड़ा है?
पर आज कल तो सब कुछ पैसो से ही तोला जाता हैं .....कर्म भी पैसे से ही आता हैं ...धर्म,दोस्ती .ईमान ....सब हैं पैसे की ही देन
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबुधवारीय चर्चा-मंच
पर है |
charchamanch.blogspot.com
सहज,सरल और सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक और प्रेरक.
आपकी लेखनी को नमन,शास्त्री जी.
हित जिससे होवे जुड़ा, वो ही है साहित्य।
जवाब देंहटाएंसभी विधाओं में रहे, शब्दों में लालित्य।।
सौदेश्य साहित्य शाष्त्री जी का .
चार दिनों की ज़िन्दगी, काहे का अभिमान।
जवाब देंहटाएंधरा यहीं रह जाएगा, धन के साथ गुमान।।... उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें ...