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नींव कमजोर पर हैं इमारत खड़ी,
जवाब देंहटाएंशून्य से हो रहीं हैं इबारत बड़ी,
राम के राज में चोर-डाकू बहुत,झूठ आजाद है, सत्य परतन्त्र है।
आदमी के डसे का नही मन्त्र है।।
वाह !!!
आदमी के डसे का नही मन्त्र है।
जवाब देंहटाएं...वाह, वाह!वाह, वाह!..क्या खूब कही आपने!...हम भी यही कहना चाहते है!
सर्प के दंश की तो दवा हैं बहुत ,आदमी के डसे का नही मन्त्र है।।
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी. बहुत सुन्दर.
wah shashtri sahab, kaash ki aapki is pratibha ka paasang bhi mil sake. sundar, bahut sundar...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट कृति |
जवाब देंहटाएंबुधवारीय चर्चा-
मस्त प्रस्तुति ||
charchamanch.blogspot.com
Shayad har manav ke antarman ki yahi avaj hae .bdhai sarthak satya lekhan hetu.
जवाब देंहटाएंवाह बेहद खूबसूरत रचना ....
जवाब देंहटाएंईद, होली, दिवाली के त्योहार में,
दम्भ की है मिलावट भरी प्यार में,
आ बसी हैं विदेशों की पागल पवन,छल-कपट से भरा आज जनतन्त्र है।
आदमी के डसे का नही मन्त्र है।।.......खास कर ये लाजबाब
नींव कमजोर पर हैं इमारत खड़ी,
जवाब देंहटाएंशून्य से हो रहीं हैं इबारत बड़ी,
राम के राज में चोर-डाकू बहुत,झूठ आजाद है, सत्य परतन्त्र है।
आदमी के डसे का नही मन्त्र है।।
बहुत सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
सच कहा आपने, आदमी के डसे का कोई ईलाज नहीं।
जवाब देंहटाएं@ सर्प के दंश की तो दवा हैं बहुत ,आदमी के डसे का नही मन्त्र है।।
जवाब देंहटाएंसच्चाई बयान की है
शुभकामनायें आपको भाई जी !
आ बसी हैं विदेशों की पागल पवन,छल-कपट से भरा आज जनतन्त्र है।
जवाब देंहटाएंआदमी के डसे का नही मन्त्र है।।
सार्थक प्रस्तुति ...
शुभकामनायें ....
आदमी डसे का नहीं मंत्र है
जवाब देंहटाएंवाह !!!! यथार्थ का सटीक चित्रण.
सांप को मंत्र सिखाना पड़ेगा
जवाब देंहटाएंआदमी डसेगा तो बुलाना पड़ेगा।
वाह क्या मंत्र है ।