कुछ
ने पूरी पंक्ति उड़ाई,
कुछ
ने थीम चुराई मेरी।
मैं
तो रोज नया लिखता हूँ
रोज
बजाता हूँ रणभेरी।
चोरों
के नहीं महल बनेंगे,
इधर-उधर
ही वो डोलेंगे।
उनको
माँ कैसे वर देगी,
उनके
शब्द नहीं बोलेंगे।
उनका
जीना भी क्या जीना,
सिसक-सिसककर
जो है जिन्दा।
ऐसे
पामर नीच-निशाचर,
होते
नहीं कभी शरमिन्दा।
अक्षय-गागर
मुझको देकर,
माता
ने उपकार किया है।
चोर-उचक्कों
से देवी ने,
शब्दकोश
को छीन लिया है।
मैं
उनका स्वागत करता हूँ,
जो
ऐसे गीतों को रचते।
मुखड़ा
मेरा जिनको भाया,
किन्तु
सत्य कहने से बचते।
छन्द-काव्य
को तरस रहे वो,
चूर
हुए उनके सपने हैं।
कैसे
कह दूँ उनको बैरी,
वो सब
तो मेरे अपने हैं।
समझदार
के लिए इशारा,
इस
तुकबन्दी में करता हूँ।
मैं दिन-प्रतिदिन लिखता जाता,
केवल
ईश्वर से डरता हूँ।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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रविवार, 31 मार्च 2013
"मूर्ख दिवस पर...समझदार के लिए इशारा.." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गजब का लिखे हैं सर!
जवाब देंहटाएंसादर
वाह गुरुदेव श्री बहुत ही उम्दा लाजवाब खरा सत्य, मज़ा आ गया
जवाब देंहटाएंसाहित्य चुराकर कोई साहित्यकार नही बनता, आप पर तो मां सरस्वती यूं ही मेहरबान है, कृपा बनी रहे, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
गुरूदेव कोई चोर अभी तक महान साहित्यकार नहीं बन पाया। जिसकी चोरी की आदत है वह छोड़ भी नहीं पाया। जो जिस चीज की अपने में कमी महसूस करेगा उसे चुराएगा ही। कुछ तो आदतन भी चोर होते हैं। बस आपका हुनर कोई नहीं चुरा सकता।
जवाब देंहटाएंलाजबाब,सत्य और बेहतरीन.माँ की कृपा आप पर बनी रहें.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंवाह वाह लाजवाब अभिव्यक्ति है
जवाब देंहटाएंइशारा ही काफी है .....महोदय ...बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसाभार....
बढिया
जवाब देंहटाएंअरे सर आपने याद दिला दिया मूर्ख दिवस
बोले तो अपना दिन.. हाहाहहा
कॉपी राइट के दौर में कॉपी लेफ्ट का कांसेप्ट गज़ब है...शर्मिंदा हो लोग शब्दों की चोरी छोड़ देंगे...
जवाब देंहटाएंचोरी से परेशां न हों। यह आपकी क़ाबलियत को दर्शाता है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति! चोर क्या साहित्यकार बनेगा ?
latest post कोल्हू के बैल
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सुंदर अभिव्यक्ति,इशारा ही काफी है,,,,
जवाब देंहटाएंचोरों को कितना ही लताड़ लीजिए, उन्हें असर नहीं होगा क्योंकि वे चोरी करके ही गुजारा करते हैं।
जवाब देंहटाएं’चोर पुराण’, सटीक तुकबम्दी
जवाब देंहटाएंsundar puran ,chaury karm ki mahima anant hai,kabhi hasaye kabhi rulaye......
जवाब देंहटाएंयह कृपा बनी रहे...
जवाब देंहटाएं