अब छेड़ो कोई नया राग, अब गाओ कोई गीत नया।
सुलगाओ फिर से नयी
आग, लाओ कोई संगीत नया।
टूटी सी पतवार
निशानी रह जायेगी,
दरिया की मानिन्द
जवानी बह जायेगी,
फागुन में खेलो नया
फाग, अब गाओ कोई गीत
नया।
सुलगाओ फिर से नयी
आग, लाओ कोई संगीत नया।
सुख-दुख का है चक्र, समय अच्छा आयेगा,
इक दिन स्वप्न-सलोना, सच्चा हो जायेगा,
करवट बदलेगा नया
भाग, अब गाओ कोई गीत
नया।
सुलगाओ फिर से नयी
आग, लाओ कोई संगीत नया।
मंजिल चल कर पास
स्वयं ही आ जायेगी,
आशा की नवकिरण, नयन में छा जायेगी,
बालो चन्दा जैसा
चिराग, अब गाओ कोई गीत
नया।
सुलगाओ फिर से नयी
आग, लाओ कोई संगीत नया।
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बुधवार, 3 अप्रैल 2013
"सुलगाओ फिर से नयी आग" (डा.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत सुन्दर और प्रेरक गीत
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति -
बेहतरीन संदेश देती सुन्दर प्रेरक रचना,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति,,सुंदर रचना,,,,
जवाब देंहटाएंनिराशा वादियों मे नव-स्फूर्ती जाग्रत करती रचना प्रेरक है।
जवाब देंहटाएंशीश कटा सकते हैं ,पर झुका सकते नहीं ---विजय राजबली माथुर
सुंदर बोध देती पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंबारो चंदा जैसा चिराग ...
जवाब देंहटाएंनवीन बिम्ब शीतल चांदनी को चिराग की रौशनी से जोड़ता है !
बहुत बढ़िया !
आशावादी भाव सकारात्मक सोच बढ़िया संदेश युक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसुख-दुख का है चक्र, समय अच्छा आयेगा,
जवाब देंहटाएंइक दिन स्वप्न-सलोना, सच्चा हो जायेगा,
करवट बदलेगा नया भाग, अब गाओ कोई गीत नया।
सुलगाओ फिर से नयी आग, लाओ कोई संगीत नया।……………बहुत ही प्रेरक गीत
ऊर्जा को पुकारता गीत, बहुत सुन्दर।
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