वृक्षारोपण को करो,
पर्व हरेला आज।
हरितक्रान्ति से
कीजिए, उन्नत देश समाज।।
तीज-हरेला दे रहे, हमको
ये सन्देश।
हरियाली का देश में,
बना रहे परिवेश।।
शुद्ध हवा मिलने लगे, ऐसे
करो उपाय।
कोरोना के काल में, देना
पेड़ लगाय।।
उमड़-घुमड़ घन आ रहे, बरस
रहा चौमास।
उग आयी मैदान में,
हरी-हरी अब घास।।
सावन-भादो मास में, होती
है बरसात।
हरियाली से युक्त हैं,
खेत-नगर देहात।।
प्रबल वेग से बह रही,
गंगा जी की धार।
हटा दीजिए खेत से,
सारी खर-पतवार।।
पानी है बरसात का,
फसलों को वरदान।
धानों की रोपाई को,
करने लगे किसान।।
--
हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है-
1- चैत्र मास में!
(प्रथम दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है!)
2- श्रावण मास में
(सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है!)
3- आश्विन मास में!
(आश्विम मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है!)
उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ही अधिक महत्व दिया जाता है! क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है!
सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है।
4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं।
घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी!
साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है!
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गुरुवार, 16 जुलाई 2020
दोहे-आलेख "पर्व हरेला आज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवृक्ष ही जीवन हे
जवाब देंहटाएंहरेला की शुभकामनाएं
बहुत सुंदर रचना
हरियाली का महत्व बताते दोहे और हरेला पर्व की जानकारी देता सुंदर पोस्ट। आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर सामयिक संदेश संप्रेषित करती सार्थक दोहावली।
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