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Very Nice your all post. I Love it.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
वर्तमान पर सटीक चिंतन
जवाब देंहटाएंऊपर से लेकर सब एक सा
फिर कौन सुने
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंरगों में प्रवाहित रक्त के प्रवाह को एकदम तेज़ कर देने वाले इस समसामयिक यथार्थवादी गीत ने मन को चिंतन के भंवर में धकेल दिया है। सचमुच स्वयं देवी सरस्वती का वास ह आपकी लेखनी में, आपकी प्रज्ञा में... आपको नमन है मेरा 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
कृपया "वास है" पढ़ें । धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंपक्षियों का चह-चहाना ,
जवाब देंहटाएंलग रहा चीत्कार सा है।
षट्पदों का गीत गाना ,
आज हा-हा कार सा है।
गीत उर में रो रहे हैं,
शब्द सारे सो रहे हैं,
देख कर परिवेश ऐसा।
हो गया क्यों देश ऐसा??
शत प्रतिशत सत्य की सटीक, सुंदर काव्यात्मक भावाभिव्यक्ति...
वर्तमान परिदृश्य यही है...
सादर नमन 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
एकता की गन्ध देता था,
जवाब देंहटाएंसुमन हर एक प्यारा,
विश्व सारा एक स्वर से,
गीत गाता था हमारा,
कट गये सम्बन्ध प्यारे,
मिट गये अनुबन्ध सारे ,
देख कर परिवेश ऐसा।
हो गया क्यों देश ऐसा??
समसामयिक परिवेश पर सटीक अभिव्यक्ति.. आभार....
वाह!बहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
हमेशा की भांति अर्थपूर्ण लेखनी।
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