पहन नया परिधान। सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥ -- ज्ञान गंग की बहती धारा, चन्दा-सूरज से उजियारा। आन-बान और शान हमारी, संविधान हम सबको प्यारा। प्रजातंत्र पर भारत वाले, करते हैं अभिमान। सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥ -- शीश मुकुट हिमवान अचल है, सुंदर -सुंदर ताजमहल है। गंगा - यमुना और सरयू का, पग पखारता पावन जल है। प्राणों से भी मूल्यवान है, हमको हिन्दुस्तान। सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥ -- स्वर भर कर इतिहास सुनाता, महापुरुषों से इसका नाता। गौतम-गांधी, दयानंद की, प्यारी धरती भारतमाता। यहाँ हुए हैं पैदा नानक, राम, कृष्ण-भगवान। सारे जग से न्यारा, अपना है गणतंत्र महान॥ -- |
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार २६ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट देशभक्ति गीत
जवाब देंहटाएंनमन आदरणीय🙏
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-1-21) को "यह गणतंत्र दिवस हमारे कर्तव्यों के नाम"(चर्चा अंक-3958) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
देशभक्ति से ओतप्रोत सुन्दर रचना..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति भाव से पूरित सुन्दर सृजन । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति के भाव से परिपूर्ण प्रेरक रचना। साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंसर कुछ कविताएं और स्वागत गीत वीरांगना महारानी अवन्ति बाई लोधी पर भी लिखो
जवाब देंहटाएंआपका बेटा शैलेन्द्र सिंह लोधी राजपूत जी हीरापुरा गोरमी जिला भिण्ड मप्र 7987954307