-- एकल कवितापाठ का, अपना ही आनन्द। रोज़ सृजन को कीजिए, करके कमरा बन्द।१। -- करके खुद ही टिप्पणी, रोज निभाना धर्म। तब आयेगा समझ में, कविताओँ का मर्म।२। -- टिप्पणियों के ढेर से, बन जाता आधार। अपनी रचना बाँचकर, मिलते हैं उपहार।३। -- आम आदमी पिस रहा, मजे लूटता खास। मँहगाई की मार से, मेला हुआ उदास।४। -- प्रियतम भूला आपको, आप कर रहे याद। पत्थर से करना नहीं, कोई भी फरियाद।५। -- कम शब्दों के मेल से, दोहा बनता खास। सरस्वती जी का रहे, सबके उर में वास।६। -- ठगती सबको लालसा, मानव हों या देव। लालच बुरी बलाय है, इससे बचो सदैव।७। -- एक-एक कर सभी की, खोल रहे जो पोल। सही राह बतला रहे, गुणीजनों के बोल।८। -- देश खोखला कर दिया, जीना किया हराम। आम आदमी हो रहे, फोकट में बदनाम।९। -- फिर से पैदा हो गये, बाबर-औरंगजेब। जिनमें उनकी ही तरह, भरे हुए हैं ऐब।१०। -- वाणी में ही निहित हैं, सभी तरह के बोल लेकिन कड़वे बोल से, विष का बनता घोल।११। -- सम्बन्धों की आड़ में, वासनाओं का खेल। करके झूठी प्रशंसा, करते तन का मेल।१२। -- आम आदमी पिस रहा, खास हो रहे मस्त। जाली नोटों ने करी, यहाँ व्यवस्था ध्वस्त।१३। -- सामाजिक परिवेश में, आयी है अब मोच। कुछ लोगों की हो गई, कितनी गन्दी सोच।१४। -- पलकों पर ठहरा हुआ. इन्तज़ार का जोश। बिना पिये जो हृदय को, कर देती मदहोश।१५। |
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रविवार, 21 मार्च 2021
दोहे "कविताओँ का मर्म" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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करके खुद ही टिप्पणी, रोज निभाना धर्म।
जवाब देंहटाएंतब आयेगा समझ में, कविताओँ का मर्म।
बहुत सही आदरणीय...अपनी रचना का स्वमूल्यांकन करना सभी के वश में नहीं रहता...
प्रायः आत्ममुग्धता हावी हो जाती है, और कवि अपने लिखे काव्य को श्रेष्ठतम मान कर पतनोन्मुखी हो जाता है।
बहुत बढ़िया प्रेरक दोहों के लिए साधुवाद 🙏
विश्व कविता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंंह
वाह !
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 22-03 -2021 ) को पत्थर से करना नहीं, कोई भी फरियाद (चर्चा अंक 4013) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
वाह!सर ,बहुत खूब । सीख देते हुए दोहे ।
जवाब देंहटाएंठगती सबको लालसा----।
जवाब देंहटाएंमयंक जी बहुत सुंदर एवं यथार्थ चित्रण।
बहुत ही सुंदर सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बढ़िया और प्रेरक दोहे ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएं