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थोड़ी सी अशांति के बदले व्यापक शान्ति के लिए नक्से खिंचे गए थे कभी।
जवाब देंहटाएंखैर सुंदर रचना।
नई रचना
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-3-21) को "नई गंगा बहाना चाहता हूँ" (चर्चा अंक- 4,001) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
Very Nice your all post. i love so many & more thoughts i read your post its very good post and images . thank you for sharing
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंस्वर्ग धरती को बनाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत ही लाजवाब सृजन।
बहुत सुंदर रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंकभी तो कामना पूरी होगी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार ग़ज़ल।आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
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